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'दो लड़कों की जोड़ी' 2027 में भी यूपी में आएगी नजर? कांग्रेस के मास्टर प्लान से सपा को हो सकता है नुकसान

Rahul Gandhi Akhilesh Yadav: दो लड़कों की जोड़ी क्या 2027 में नजर आएगी... यह बड़ा सवाल है, लेकिन इतना जरूर है कि कांग्रेस ने यूपी में अपनी खोई हुई जमीन को हासिल करने के लिए जो रणनीति बनाई है, उससे सपा को नुकसान हो सकता है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 2 सीटों पर जीत मिली थी.

दो लड़कों की जोड़ी 2027 में भी यूपी में आएगी नजर? कांग्रेस के मास्टर प्लान से सपा को हो सकता है नुकसान
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( Image Source:  ANI )

Congress SP Alliance: उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी. इसी कड़ी में बीते दिनों उसने राज्य और जिला समितियों को भंग कर दिया है. अब संगठन को नए सिरे से खड़ा किया जाएगा, ताकि पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत किया जा सके.

लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने यूपी की 7 सीटों पर जीत दर्ज की. यह चुनाव उसने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था. इससे पहले, 2019 में उसे केवल रायबरेली सीट पर ही जीत नसीब हुई थी.

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सपा की बढ़ेगी मुश्किलें

कांग्रेस अगर यूपी में अपने संगठन को मजबूत करती है तो उसे सपा से सौदेबाजी करने में आसानी होगी. वह सपा से विधानसभा चुनाव में ज्यादा सीटों की डिमांड कर सकती है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का यूपी पर शुरू से ही फोकस रहा है. यही वजह है कि राहुल ने वायनाड की जगह रायबरेली से सांसद बनना स्वीकार किया.

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राहुल गांधी ने 2004 से लेकर 2009 तक यूपी में बहुत मेहनत की थी, लेकिन नतीजे ढाक के तीन पात ही रहे. हालांकि, 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने 22 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद कांग्रेस 2014 और 2019 में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई. वह अपनी जमीन खोती चली गई.

2022 में कांग्रेस को केवल 2 सीटों पर मिली थी जीत

कांग्रेस को 2022 के विधानसभा चुनाव में केवल 2 सीटों पर ही जीत मिल सकी थी. कांग्रेस को संगठन में बदलाव से यूपी में अपनी जड़ों को मजबूत करने में मदद मिलने की उम्मीद है. पार्टी को यह भी उम्मीद है कि जिन सीटों पर उसके प्रत्याशी मजबूत होंगे, वहां पर चुनाव लड़ने के लिए वह सहयोगियों के साथ अच्छे से डील कर सकती है.

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 17 सीटों पर लड़ा चुनाव

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 17 सीटों से संतोष करना पड़ा था. वहीं, विधानसभा उपचुनाव में 9 सीटों में उसने किसी सीट पर चुनाव नहीं लड़ा था. पार्टी ने सपा को सपोर्ट करने का फैसला किया था.

कांग्रेस ने संगठन में क्यों किया बदलाव?

पिछले पांच साल में ज्यादातर जिला और शहर समितियों में कोई बदलाव नहीं किया था. कुछ समितियों में तो सात साल से को बदलाव नहीं हुआ था. इसी को देखते हुए कांग्रेस ने सभी समितियों को भंग कर नए सिरे से बदलाव करने का फैसला किया है. राहुल गांधी खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं. कांग्रेस लंबे समय की रणनीति पर काम कर रही है.

कांग्रेस का मानना है कि उसे यूपी में जमीनी स्तर पर मजबूत होना पड़ेगा. राहुल और प्रियंका की रैली में जुटने वाली भीड़ वोटों में तब्दील नहीं हो पाई है. स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए समितियों की घोषणा की जाएगी.

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