BJP राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक...राणा सांगा विवाद पर अब ये क्या बोल गए अखिलेश
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले को दूसरा एंगल देते हुए योगी सरकार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि राणा सांगा की वीरता पर कोई सवाल नहीं उठा रहा, और उनका अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं था.

समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन की राणा सांगा पर की गई टिप्पणी को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. इस बयान के विरोध में करणी सेना ने सांसद के आवास पर प्रदर्शन किया, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया. इस विरोध के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले को दूसरा एंगल देते हुए योगी सरकार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि राणा सांगा की वीरता पर कोई सवाल नहीं उठा रहा, और उनका अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं था.
इस विवाद के बीच सपा समर्थक रामजी लाल सुमन के बयान को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि करणी सेना का विरोध राजनीति से प्रेरित है और यह सिर्फ ध्रुवीकरण की कोशिश है. इस पूरे मामले पर भाजपा और अन्य हिंदू संगठनों ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है, जबकि सपा इसे राजनीतिक चाल बता रही है. इस विवाद के बाद यूपी की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है, क्योंकि यह मामला जातीय और ऐतिहासिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शेयर करते हुए लिखा कि, 'समाजवादी पार्टी सामाजिक न्याय और समतामूलक समाज की स्थापना में विश्वास करती है. हम कमज़ोर से कमज़ोर हर एक व्यक्ति को भी सम्मान दिलाना चाहते है. हमारा उद्देश्य किसी इतिहास पुरुष का अपमान करना नहीं हो सकता. समाजवादी पार्टी मेवाड़ के राजा राणा सांगा की वीरता और राष्ट्रभक्ति पर कोई सवाल नहीं कर रही. भाजपा ने इतिहास के कुछ विषयों को सदैव राजनीतिक लाभ उठाने के लिए और देश को धार्मिक-जातिगत आधार पर विभाजित करने के लिए इस्तेमाल किया है.
आगे लिखा कि, 'हमारे सांसद ने सिर्फ एक पक्षीय लिखे गये इतिहास और एक पक्षीय की गई व्याख्या का उदाहरण देने की कोशिश की है। हमारा कोई भी प्रयास राजपूत समाज या किसी अन्य समाज का अपमान करना नहीं है. आज के समय में बीते कल की मतलब ‘इतिहास’ की घटनाओं की व्याख्या नहीं की जा सकती. राज काज के निर्णय अपने समय की परिस्थियों की माँग के हिसाब से लिए जाते थे. इतिहास की घटनाओं के आधार पर आज की लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं चल सकती. भाजपा सरकार को अपनी भेदकारी आदत को सुधार कर जनता के रोज़ी-रोज़गार, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर कुछ ध्यान देना चाहिए.