1947 से नहीं हुआ था ये कारनामा…अब बाराबंकी का ये छात्र पूरे यूपी में छाया, आंखों में आंसू ला देने वाली कहानी
बाराबंकी जिले के निजामपुर गांव में 77 साल बाद पहली बार किसी छात्र ने हाईस्कूल की परीक्षा पास की है. 15 वर्षीय रामकेवल ने गरीबी और संघर्ष के बावजूद यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा में 55% अंक हासिल कर गांव का नाम रोशन किया. दिन में मजदूरी और रात में पढ़ाई करने वाले रामकेवल का सपना इंजीनियर बनने का है. जिला प्रशासन ने उसे सम्मानित कर आगे की पढ़ाई की फीस माफ कर दी है. उसकी कामयाबी से गांव में नई उम्मीदें जगी हैं.

UP Board Inspirational Story: बाराबंकी के निजामपुर गांव में आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जो शायद सुनकर आपको यकीन न हो. गांव के 15 वर्षीय रामकेवल ने यूपी बोर्ड हाईस्कूल परीक्षा पास कर एक नई मिसाल कायम कर दी है. ये कारनामा इसलिए खास है क्योंकि 1947 से अब तक इस गांव में कोई भी छात्र हाईस्कूल नहीं पार कर पाया था.
करीब 300 की आबादी वाले इस छोटे से गांव में ज़्यादातर परिवार दलित समुदाय से आते हैं और शिक्षा की स्थिति बेहद कमजोर रही है. लेकिन रामकेवल ने अपनी मेहनत और जज़्बे से इतिहास रच दिया. उसने हाईस्कूल परीक्षा में 55% अंक लाकर गांव का नाम रोशन किया.
दिन में मजदूरी, रात में पढ़ाई
रामकेवल की कहानी संघर्ष और उम्मीद का अनोखा मेल है. तीन भाइयों में सबसे बड़े रामकेवल ने बचपन से पढ़ने का सपना देखा लेकिन गरीबी ने कदम-कदम पर रोकने की कोशिश की. वह दिन में मजदूरी करता और शादियों में लाइट उठाने जैसे काम से कमाई कर अपनी पढ़ाई के खर्च पूरे करता। रात में वह सोलर लाइट की रोशनी में छप्पर के नीचे बैठकर पढ़ाई करता था.
इंजीनियर बनने का सपना, पढ़ाई की फीस माफ
रामकेवल का सपना अब इंजीनियर बनने का है. जिला प्रशासन ने उसकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि का सम्मान किया है. जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने उसे और उसके माता-पिता को बुलाकर सम्मानित किया और आगे की पढ़ाई की सारी फीस माफ करने की घोषणा की. रामकेवल के पिता जगदीश मज़दूरी करते हैं और मां पुष्पा गांव के प्राइमरी स्कूल में खाना बनाती हैं. गांव के लोगों को अब उम्मीद है कि रामकेवल की कामयाबी बाकी बच्चों को भी प्रेरित करेगी और निजामपुर गांव का भविष्य बदलेगा.