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देश में इससे भी महंगी पार्किंग कहीं है क्या? बनारस रेलवे स्टेशन पर 24 घंटे के लिए बाइक पार्क करने पर वसूले 2400 रुपये

बनारस रेलवे स्टेशन पर बाइक पार्किंग को लेकर विवाद खड़ा हो गया, जब एक यात्री से 24 घंटे के लिए 2400 रुपये वसूले गए. यह मामला सामने आते ही यात्रियों में आक्रोश फैल गया. रेलवे प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि दोषी पाए गए लोगों पर सख्त कार्रवाई होगी. यह घटना स्टेशन पर चल रही अवैध वसूली और निगरानी की कमी को उजागर करती है.

देश में इससे भी महंगी पार्किंग कहीं है क्या? बनारस रेलवे स्टेशन पर 24 घंटे के लिए बाइक पार्क करने पर वसूले 2400 रुपये
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Banaras railway station Bike parking scam: उत्तर प्रदेश के बनारस रेलवे स्टेशन पर बाइक पार्किंग को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. एक यात्री ने आरोप लगाया कि स्टेशन पर 24 घंटे के लिए बाइक खड़ी करने पर उससे 2400 रुपये वसूले गए, जो सामान्य दर से कई गुना अधिक है. मामला सामने आते ही सोशल मीडिया पर हड़कंप मच गया और लोग रेलवे प्रशासन को निशाने पर लेने लगे.

महमूरगंज के रहने वाले पीड़ित यात्री डॉक्टर राजेश कुमार श्रीवास्तव ने 'अमर उजाला' को बताया कि उन्होंने स्टेशन की पार्किंग में अपनी बाइक 24 घंटे के लिए खड़ी की थी. जब वे वापस लौटे तो उससे 2400 रुपये की भारी-भरकम राशि मांग ली गई. इतना अधिक शुल्क सुनकर वे हैरान रह गए. उन्होंने इस संबंध में आवाज उठाई.

24 घंटे के लिए बाइक पार्क करने पर वसूले 2400 रुपये

राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि प्लेटफॉर्म नंबर 1 की तरफ बने वाहन स्टैंड में बाइक पार्किंग के लिए 24 घंटे का 2400 रुपये यानी हर घंटे 100 रुपये लिया जा रहा है. वहीं, साइकिल पार्किंग के लिए 24 घंटे का 1200 रुपये यानी हर घंटे 50 रुपये लिया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि प्रथम और द्वितीय एंट्री गेट के पार्किग शुल्क में भारी अंतर है. ऐसा शायद किसी भी अन्य स्टेशन में नहीं होगा.

रेलवे प्रशासन ने मामले की जांच के दिए आदेश

जैसे ही यह मामला लोगों तक पहुंचा, रेलवे प्रशासन हरकत में आया और जांच के आदेश जारी कर दिए. अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि अगर अवैध वसूली की बात सामने आती है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि पार्किंग रेट निर्धारित मानकों के अनुसार ही होते हैं. यदि कोई एजेंसी या कर्मचारी मनमाने ढंग से पैसे वसूल रहा है, तो यह न सिर्फ अनुचित है, बल्कि गैरकानूनी भी है.

इस पूरे प्रकरण ने यात्रियों के बीच विश्वास की कमी को उजागर कर दिया है. लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि सार्वजनिक स्थलों पर ऐसी अवैध वसूली क्यों हो रही है और प्रशासन पहले से इसकी निगरानी क्यों नहीं करता.

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