समझदार व्यक्ति का मर्जी से इस्लाम अपनाना गलत नहीं, लेकिन... धर्मांतरण पर इलाहाबाद HC की बड़ी टिप्पणी
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, अगर कोई वयस्क और समझदार व्यक्ति अपनी मर्जी से, बिना किसी दबाव या लालच के, सिर्फ अल्लाह पर यकीन करता है और पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं में आस्था रखकर इस्लाम कबूल करता है, तो इसे सही धर्म परिवर्तन माना जाएगा. कोर्ट ने तौफीक अहमद की याचिका को खारिज कर दी.

Allahabad High Court: देश में अक्सर धर्मांतरण के मामले सामने आते हैं. कभी शादी के लिए तो कभी किसी ओर मकसद से धर्म परिवर्तन करा दिया जाता है. ऐसे ही एक मामले पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है.
हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई वयस्क और समझदार व्यक्ति अपने मन से, अल्लाह की एकता और पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं में विश्वास रखते हुए इस्लाम धर्म अपनाता है तो इसे सही माना जाएगा, लेकिन जबरन धर्म परिवर्तन कानून का उल्लंघन है.
क्या है मामला?
हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी कोर्ट ने तौफीक अहमद की याचिका को खारिज करते हुए की, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ बलात्कार और यूपी के धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की थी. जस्टिस मंजू रानी चौहान ने 27 मार्च के आदेश में कहा, अगर कोई वयस्क और समझदार व्यक्ति अपनी मर्जी से, बिना किसी दबाव या लालच के, सिर्फ अल्लाह पर यकीन करता है और पैगंबर मोहम्मद की शिक्षाओं में आस्था रखकर इस्लाम कबूल करता है, तो इसे सही धर्म परिवर्तन माना जाएगा.
कोर्ट ने बलात्कार मामले में समझौते की दलील को खारिज कर दिया. साथ ही कहा कि बलात्कार जैसे गंभीर अपराध में कोई समझौता मान्य नहीं होगा. बलात्कार एक ऐसा अपराध है जो किसी महिला के सम्मान और गरिमा पर सीधा प्रहार करता है. इसे किसी भी हाल में समझौते के आधार पर खत्म नहीं किया जा सकता.
धर्मांतरण विरोधी कानून
कोर्ट ने यूपी के धर्मांतरण विरोधी कानून के मकसद को भी स्पष्ट किया. कोर्ट ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी व्यक्ति का धर्म जबरदस्ती, धोखे, डर, लालच या किसी भी गलत तरीके से न बदला जाए.
सच्चा धर्म परिवर्तन तब माना जाएगा, जब वह किसी के दिल से हो और व्यक्ति नई आस्था की शिक्षाओं को पूरी ईमानदारी से अपनाने का निर्णय ले.
रेप पीड़िता का आरोप
इस मामले में पीड़िता ने आरोप लगाया कि राहुल उर्फ मोहम्मद अयान ने अपनी असली पहचान छुपाई और मुझे प्यार के जाल में फंसाया. उसने मुझे इस्लाम अपनाने के लिए दवाब डाला और उसका यौन शोषण किया. कोर्ट ने आरोपी की राहत पाने वाली याचिका को रद्द कर दिया. पीड़िता ने आरोपी के खिलाफ 7 जून, 2021 को केस दर्ज कराया था. दोनों की दोस्ती फेसबुक पर हुई थी.