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'इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई Dustbin नहीं', जस्टिस वर्मा के केस पर क्यों भड़का बार एसोसिएशन?

इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने की घटना के बाद 15 करोड़ रुपये की नकदी मिलने के कथित मामले को लेकर उनके स्थानांतरण का कड़ा विरोध किया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई Dustbin नहीं, जस्टिस वर्मा के केस पर क्यों भड़का बार एसोसिएशन?
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सागर द्विवेदी
Edited By: सागर द्विवेदी

Updated on: 21 March 2025 6:06 PM IST

इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने की घटना के बाद 15 करोड़ रुपये की नकदी मिलने के कथित मामले को लेकर उनके स्थानांतरण का कड़ा विरोध किया है. एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर नाराजगी व्यक्त की.

'इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई कचरादान नहीं'

बार एसोसिएशन ने पत्र में स्पष्ट किया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे न्यायाधीशों के लिए ठिकाना नहीं बनाया जा सकता. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की नियुक्ति प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि इससे जनता का न्यायपालिका में विश्वास कमजोर हुआ है. वकीलों के समूह ने आरोप लगाया कि न्यायमूर्ति वर्मा के बंगले में आग बुझाने के दौरान अग्निशमन विभाग को 15 करोड़ रुपये की नकदी मिली थी, और यह खबर प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई थी.

कॉलेजियम के फैसले पर गंभीर सवाल

बार एसोसिएशन ने कॉलेजियम के फैसले पर सीधा सवाल उठाते हुए कहा, 'क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट को कूड़ेदान बना दिया गया है? उन्होंने चिंता जताई कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहले से ही जजों की भारी कमी है, लेकिन नए न्यायाधीशों की नियुक्ति में योग्यता और बार एसोसिएशन की राय को नजरअंदाज किया जा रहा है. बार एसोसिएशन ने पत्र में लिखा कि भ्रष्टाचार बढ़ने के पीछे कोई न कोई गंभीर कमी जरूर है, जिससे न्यायपालिका की साख को भारी क्षति पहुंच रही है.

कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?

जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से BCom (Hons) की डिग्री हासिल की और बाद में मध्य प्रदेश के रीवा यूनिवर्सिटी से LLB की डिग्री हासिल की. ​​उन्होंने 8 अगस्त 1992 को एक वकील के रूप में नामांकन कराया. 13 अक्टूबर 2014 को उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में एडिशनल जज नियुक्त किया गया और 1 फरवरी 2016 को उन्हें परमानेंट जज के रूप में प्रमोट किया गया. इसके बाद 11 अक्टूबर, 2021 को उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया.

इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपने कानूनी करियर के दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा ने संवैधानिक कानून, श्रम और औद्योगिक विधान, कॉर्पोरेट कानून, कराधान और संबंधित क्षेत्रों में एक्सपर्टिज हासिल की. उन्होंने 2006 से अपने प्रमोशन तक इलाहाबाद हाई कोर्ट के विशेष वकील के रूप में भी काम किया. इसके अतिरिक्त, न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किये जाने से पहले, जस्टिस यशवंत वर्मा ने 2012 से अगस्त 2013 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य स्थायी अधिवक्ता का पद संभाला था.

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