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दिल्ली हाईकोर्ट के जज के घर में लगी आग, तो खुला कमरे से बड़ा राज; कॉलेजियम ने की कार्रवाई

इस घटना के बाद तुरंत जज यशवंत वर्मा का ट्रांसफर कर दिया गया. स्थानीय पुलिस ने बरामदगी का दस्तावेजीकरण किया और मामले को वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाया गया. पांच जज वाले कॉलेजियम के कुछ सदस्यों ने चिंता जताई कि इस तरह के बड़े मामले में केवल जज वर्मा का ट्रांसफर ही करना काफी नहीं होगा.

दिल्ली हाईकोर्ट के जज के घर में लगी आग, तो खुला कमरे से बड़ा राज; कॉलेजियम ने की कार्रवाई
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 21 March 2025 9:11 AM IST

दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर आग लगने ऐसा राज खुला है जिसे हर कोई सुनकर हैरान रह गया है. दरअसल वर्मा के घर में आग लगने से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई है. जिससे इतना बड़ा हड़कंप मच गया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को दखल देना पड़ा. आग लगने की घटना 14 मार्च की है टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आग लगने के समय जस्टिस वर्मा कथित तौर पर शहर से बाहर थे, जिसके कारण उनके परिवार ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को फोन किया. आग बुझने के बाद, अधिकारियों को एक कमरे के अंदर बड़ी मात्रा में नकदी मिली.

हालांकि इस घटना के बाद तुरंत जज यशवंत वर्मा का ट्रांसफर कर दिया गया. स्थानीय पुलिस ने बरामदगी का दस्तावेजीकरण किया और मामले को वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाया गया. बाद में सरकार में उच्च अधिकारियों को इन्फॉर्म किया. यह घटनाक्रम जल्द ही CJI संजीव खन्ना तक पहुंचा, जिन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक तत्काल कॉलेजियम बैठक बुलाई. कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से न्यायमूर्ति वर्मा के तबादले का फैसला किया और उन्हें इलाहाबाद में उनके पैतृक उच्च न्यायालय में वापस भेज दिया, जहां उन्होंने अक्टूबर 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय में नियुक्त होने से पहले सेवा की थी.

ट्रांसफर करना काफी नहीं

हालांकि, पांच जज वाले कॉलेजियम के कुछ सदस्यों ने चिंता जताई कि इस तरह के बड़े मामले में केवल जज वर्मा का ट्रांसफर ही करना काफी नहीं होगा. सदस्यों का दावा है कि वर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ऐसा न करने से न्यायपालिका के प्रति लोगों का विश्वास खत्म हो सकता है और जनता की नजर में न्यायपालिका की छवि धूमिल हो सकती है.

स्वेच्छा से दें इस्तीफा

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, जज वर्मा से स्वेच्छा से इस्तीफा देने के लिए कहा गया था. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ आंतरिक जांच शुरू की जाएगी. जजों के खिलाफ करप्शन या मिसकंडक्ट के आरोपों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की 1999 की आंतरिक प्रक्रिया के मुताबिक, CJI पहले जज से स्पष्टीकरण मांगता है. अगर असंतुष्ट हैं, तो वे डिटेल जांच करने के लिए एक सुप्रीम कोर्ट जज और दो हाई कोर्ट के चीफ जस्टिसस से मिलकर एक जांच पैनल गठित कर सकते हैं.

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