लाशों पर सियासत! अखिलेश ने कहा- शुभम द्विवेदी के घर नहीं जाऊंगा; क्या इंसानियत से बड़ी हो गई राजनीति?
अखिलेश ने बातचीत के दौरान यह भी कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन भाजपा पर आरोप लगाया कि वह हिंदू-मुस्लिम के नाम पर देश में नफरत फैलाने में लगी हुई है. उनका यह भी कहना था कि आतंकवादियों का असली मकसद कश्मीर के व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को रोकना है, न कि किसी धर्म से प्रेरित होना.

जब आतंकवाद जैसी नृशंस घटना होती है, तो पूरा देश शोक और गम में डूब जाता है, और इस दुख की घड़ी में हर संवेदनशील व्यक्ति उन परिवारों के साथ खड़ा होता है, जो अपनों को खो चुके होते हैं. लेकिन जब किसी नेता की नज़र सिर्फ राजनीतिक लाभ पर होती है और वह इस समय में भी अपनी पार्टी की रणनीति और बयानों को तूल देता है और वह यह भूल जाता है कि राजनीति से कहीं बड़ी मानवता है.
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में शुभम द्विवेदी की मौत हो गई, जिनका गुरुवार को कानपुर में अंतिम संस्कार किया गया. जब उनका परिवार गम में डूबा था, तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके घर जाकर उन्हें सांत्वना दी और इस कष्टकारी घड़ी में उनके साथ खड़े रहे, लेकिन लाशों पर भी राजनीति खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. जहां अखिलेश यादव ने शुभम के घर जाने से इनकार कर दिया.
हर हाल में चाहिए बदला
इस दौरान शुभम की पत्नी ने अपनी आंखों में आंसू और दिल में गुस्से के साथ कहा हर हाल में बदला चाहिए. यह शब्द सिर्फ एक पत्नी का नहीं, बल्कि हर उस दिल का गुस्सा है, जो अपनों को आतंकवाद के हाथों खो चुका है.
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नहीं जाऊंगा शुभम के घर
गुरुवार को मीडिया से बातचीत के दौरान अखिलेश यादव ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक मानसिकता को उजागर किया. उन्होंने साफ कहा कि 'वे पहलगाम हमले में शहीद हुए शुभम द्विवेदी के घर नहीं जाएंगे, क्योंकि उनके मुताबिक भाजपा कुछ भी करा सकती है. उन्होंने दावा किया कि पहले जब वह एक फौजी के घर गए थे, तो वहां आरएसएस के लोग पहले से मौजूद थे और क्या हुआ था, यह जानने की बात कही.'
हिंदू-मुस्लिम के नाम पर बीजेपी फैला रही नफरत
अखिलेश ने बातचीत के दौरान यह भी कहा कि 'आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन भाजपा पर आरोप लगाया कि वह हिंदू-मुस्लिम के नाम पर देश में नफरत फैलाने में लगी हुई है. उनका यह भी कहना था कि आतंकवादियों का असली मकसद कश्मीर के व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को रोकना है, न कि किसी धर्म से प्रेरित होना.'
लाशों पर राजनीति कब तक?
अखिलेश यादव का यह बयान कि वह शुभम द्विवेदी के घर नहीं जाएंगे और अपनी पार्टी की राजनीति को तरजीह देना, यही दर्शाता है कि कहीं न कहीं राजनीति और सत्ता के प्रति उनका आग्रह मानवता से ऊपर हो गया है. ऐसे समय में जब एक परिवार अपने प्रियजन को खोने का दर्द सह रहा हो, राजनीति की दीवारों को तोड़कर मानवता के नाते किसी का साथ देना चाहिए. यह वही वक्त है जब नेताओं को दिखाना चाहिए कि वे सिर्फ सत्ता के नकारात्मक खेल में नहीं, बल्कि इंसानियत में भी विश्वास रखते हैं.