पत्नी आनंद का खिलौना के बाद जगद्गुरु रामभद्राचार्य का 25 बच्चे वाला बयान आया सामने, बोले-भारत के विरोधियों की उलटी गिनती शुरू
संभल में चल रही श्री कल्कि कथा के दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य एक बार फिर विवादों में आ गए. हाल ही में “पत्नी आनंद का खिलौना नहीं” वाले बयान के बाद अब उन्होंने लव जिहाद और जनसंख्या विस्फोट पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि “एक-एक महिला द्वारा 25-25 बच्चे पैदा करना अब नहीं चलेगा.” उन्होंने दावा किया कि भारत के विरोधियों की “उलटी गिनती शुरू हो चुकी है,” पीओके और चीन पर भारत का नियंत्रण भविष्य में तय है.
उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में इन दिनों तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य की सात दिवसीय श्री कल्कि कथा का भव्य आयोजन हो रहा है. ऐंचोड़ा कंबोह क्षेत्र में आयोजित इस कथा में रोज़ाना सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. वातावरण भक्ति, आस्था और वैदिक मंत्रोच्चारों से गूंज रहा है.
इस बीच, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कथा के दौरान देश, समाज और धर्म से जुड़े कई गंभीर मुद्दों पर चिंता जताई. विशेषकर ‘लव जिहाद’ पर उन्होंने कड़ा वक्तव्य दिया और देश की सुरक्षा व सांस्कृतिक अस्मिता को चुनौती देने वालों को सीधी चेतावनी दी.
लव जिहाद पर जगद्गुरु की चिंता
कथा के दौरान लव जिहाद पर बोलते हुए जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि “जिस तरह आज लव जिहाद के नाम पर हिंदू कन्याओं को फंसाया जा रहा है, यह बेहद चिंता का विषय है. उन्होंने इसे न केवल सामाजिक बल्कि सांस्कृतिक संकट बताते हुए कहा कि समाज को इस समस्या पर जागरूक होने की आवश्यकता है.
POK और चीन पर तीखा बयान
जगद्गुरु ने पड़ोसी देशों के संदर्भ में भी बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि “भारत का नाम मिटाने की सोचने वाले अधर्मियों कान खोलकर सुन लो, वह वक्त दूर नहीं जब POK हमारा होगा. पड़ोसी देश का भूगोल से ही नाम मिट जाएगा. चीन पर कब्जा होगा.” उन्होंने जनसंख्या विस्फोट पर भी चिंता व्यक्त की और कहा, “एक-एक महिला द्वारा 25-25 संतानों को जन्म देना अब नहीं चलेगा. देश में समान नागरिक संहिता बनाना बेहद आवश्यक है.”
भगवान कल्कि के जन्म और नामकरण की कथा
कथा के दौरान जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने भगवान कल्कि के जन्म, बाल्यकाल और नामकरण पर विस्तृत वर्णन किया. उन्होंने बताया कि वेदव्यास, परशुराम और कृपाचार्य भिक्षु के रूप में कल्कि भगवान के नामकरण के लिए आए थे. उनके अनुसार, भगवान कल्कि का नाम "कल्कि शर्मा" रखा गया.
जगद्गुरु ने कहा कि प्राचीन परंपराओं के अनुसार पहली और अंतिम संतान के जन्म के लिए गर्भवती महिला अपने मायके जाया करती थी. सुमति मैया भी ऐंचोड़ा कंबोह — जिसे शास्त्रों में "कम्बोज नगर" कहा गया है- में आईं और यहीं भगवान कल्कि का चौथा एवं अंतिम जन्म हुआ. अन्नापूर्णा शर्मा ने भगवान कल्कि का पालन-पोषण किया.
कल्कि भगवान ने किया धर्म का उद्धार
कथा में आगे बताया गया कि ननिहाल से लौटने के बाद भगवान कल्कि ने संभल ग्राम में 68 तीर्थों और 19 कूपों को विधर्मियों से मुक्त कराया. उन्होंने वेदिक धर्म की पुनर्स्थापना की और भक्तों को आश्वस्त किया कि 'मेरे कई चरण हैं… भक्तों से कहो कि पापाचार का भगवान कल्कि चारों से संहार करेंगे.” इस दौरान मौजूद श्रद्धालुओं ने “वंदे मातरम” के नारों के साथ वातावरण को देशभक्ति से भर दिया.





