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होलिका दहन पर सन्नाटा ही सन्नाटा! राजस्थान के इस गांव में 70 साल से नहीं हो रही पूजा

Holika Dahan 2025: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले स्थित हरणी गांव के लोग होलिका दहन के दिन पूजा नहीं करते. 70 साल पहले होलिका दहन के दिन अचानक आग लग गई थी. पूरा गांव इस आग की चपेट में आ गया था. इस हादसे के बाद ग्रामीणों ने होलिका दहन नहीं करने का फैसला किया.

होलिका दहन पर सन्नाटा ही सन्नाटा! राजस्थान के इस गांव में 70 साल से नहीं हो रही पूजा
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( Image Source:  meta ai )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 21 Oct 2025 12:20 PM IST

Holika Dahan 2025: देश भर में गुरुवार 13 मार्च यानी आज शाम को होलिका दहन किया जाएगा. साथ ही शुक्रवार 14 मार्च को हर्षोल्लास से भरा होली का त्योहार मनाया जाएगा. एक ओर जहां घरों में शाम की पूजा की तैयारी हो रही है. वहीं एक ऐसी जगह भी हैं, जहां आज के दिन सन्नाटा पसरा हुआ है. राजस्थान में एक ऐसा गांव है, जहां पर पिछले 70 साल से होलिका दहन नहीं मनाया गया है.

भीलवाड़ा के हरणी गांव में पिछले 70 साल से होलिका दहन की पूजा नहीं की गई है. क्योंकि यह दिन यहां के लोगों के लिए किसी हादसे से कम नहीं. गांव के लोग सालों पहले हुए हादसे के डर से इस त्योहार को नहीं सेलिब्रेट करते हैं.

क्यों नहीं होता होलिका दहन?

हरणी गांव के लोग होलिका दहन के दिन पूजा नहीं करते. इसके पीछे साल पहले घटी एक घटना है. 70 साल पहले होलिका दहन के दिन अचानक आग लग गई थी. पूरा गांव इस आग की चपेट में आ गया था. इस हादसे के बाद ग्रामीणों ने होलिका दहन नहीं करने का फैसला किया. आज के दिन गांव वाले सोने से बने प्रह्लाद और चांदी से बनी होलिका की मूर्ति की पूजा करते हैं, लेकिन दहन नहीं करते.

गांव वालो का संकल्प

आग की घटना के बाद से होलिका दहन न मनाने का फैसला लिया गया. सभी ने एक साथ मिलकर यह संकल्प लिया कि होलिका दहन के लिए पेड़ नहीं काटेंगे. इसके बाद सबने पैसे जमा करके सोने के प्रह्लाद और चांदी की होलिका बनवाकर पूजा करने लगे. होली के दिन शाम को सभी इकट्ठा होते हैं और वहां प्रह्लाद और होलिका की पूजा करते हैं. दोनों की गांव में शोभा यात्रा निकालते हैं.

क्यों करते हैं होलिका दहन?

होलिका दहन अच्छाई पर जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है. इस दिन राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने भगवान नारायण के भक्त प्रह्लाद को जलाने की कोशिश की थी. लेकिन भगवान की कृपा से होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया. इस दिन फाल्गुन पूर्णिमा थी, तभी से इस दिन होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन की राख को पवित्र माना जाता है इसे घर लाकर मंदिर में रखा जाता है.

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