Begin typing your search...

अंता उपचुनाव में बिगड़ा कांग्रेस-बीजेपी का खेल’, कौन-किसे दे रहा चुनौती, किस पर भारी पड़ेंगे बागी उम्मीदवार?

Anta Bypoll Rajasthan: अंता विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस और बीजेपी से नाराज होकर दो बागी उम्मीदवार नरेश मीणा और रामपाल मेघवाल मैदान में उतरे हैं. दोनों के अनुभव और मजबूत वोट बैंक ने इस सीट पर चुनावी समीकरण बिगाड़ दिए हैं. राजनीतिक दल अब रणनीति बदल रहे हैं. जानें, कौन-किसे चुनौती दे रहा है. निर्दलीय किस पर भारी पड़ेंगे.

अंता उपचुनाव में बिगड़ा कांग्रेस-बीजेपी का खेल’, कौन-किसे दे रहा चुनौती, किस पर भारी पड़ेंगे बागी उम्मीदवार?
X
( Image Source:  Naresh Meena and Rampal Meghwal )

Anta Bypoll Rajasthan 2025: राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर इस बार का उपचुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है. यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों दल अपने-अपने उम्मीदवारों के साथ पूरी ताकत झोंक रहे हैं, लेकिन असली चुनौती उनके ‘घर’ से ही उठ खड़ी हुई है. दोनों पार्टियों के बागी नेताओं ने मैदान में उतरकर मुकाबले को त्रिकोणीय और रोमांचक बना दिया है. दोनों पार्टियों के चिंता की बात यह है कि बागी बने दोनों नेता अंता में जमीनी स्तर पर मजबूत माने जा रहे हैं.

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव से ज्यादा राजस्थान में अंता उपचुनाव दिलचस्प हो गया है. अंता उपचुनाव का टिकट न मिलने पर कांग्रेस और बीजेपी से नाराज होकर दो बागी चुनावी मैदान में उतर गए हैं. कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ पूर्व महासचिव नरेश मीणा ने अपना पर्चा पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ भर दिया. वहीं, बीजेपी के नेता और पूर्व विधायक रामपाल मेघवाल ने पार्टी टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय मैदान में पर्चा दाखिल किया. नरेश और रामपाल दोनों ने कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों की चुनौती बढ़ा दी है.

अंता में क्या है वोट बैंक का गणित?

अंता विधानसभा सीट जनरल वर्ग की है, लेकिन यहां का बड़ा वोट बैंक निर्दलीयों को आकर्षित करता है. 2008 में अंता बारां से अलग हुई. नरेश मीणा ने कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर खुद ब खुद बागी होकर चुनाव लड़ा. करीब 35,000 मीणा मतदाता हैं, जो चुनाव के गणित को प्रभावित करने में सक्षम हैं.

रामपाल मेघवाल साल 2013 में बारां-अटरू विधानसभा से बीजेपी के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुए थे. पार्टी ने 2018 और 2023 में उन्हें टिकट नहीं दिया. नाराज होकर रामपाल ने निर्दलीय पर्चा दाखिल किया. वह अनुसूचित जाति से आते हैं, जहां इस वर्ग के 60,000 मतदाता हैं.

बदल रहे हैं जातीय समीकरण

अंता विधानसभा में कांग्रेस और बीजेपी के सारा चुनावी समीकरण नरेश और रामपाल के बागी होने से बिगड़ गया है. दोनों दल अब जातिगत नेताओं को चुनाव प्रचार में सक्रिय कर अपने वर्ग के मतदाताओं को अपने प्रत्याशी की तरफ आकर्षित करने की रणनीति बना रहे हैं.

निर्दलियों ने बढ़ाई बीजेपी-कांग्रेस की टेंशन

नरेश मीणा और रामपाल मेघवाल दोनों का विधानसभा चुनाव लड़ने का अनुभव है. नरेश मीणा ने 2023 में बागी होकर दो चुनाव लड़े और हजारों वोट हासिल किए. रामपाल मेघवाल ने 2013 में बीजेपी के टिकट पर 20,600 मतों से जीत हासिल की थी. उनके अनुभव से कांग्रेस और बीजेपी दोनों को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. दोनों दल अब अपने इलेक्शन वार रूम में रणनीति तैयार कर रहे हैं कि कैसे इस उपचुनाव में बागियों के प्रभाव को कम किया जाए.

बीजेपी-कांग्रेस से इन्हें मिले टिकट

अंता सीट पर उपचुनाव में बीजेपी ने पार्टी के प्रतिबद्ध कार्यकर्ता और वर्तमान प्रधान मोरपाल सुमन को मैदान में उतारा है मोरपाल को टिकट देने के पीछे पीछे सामुदायिक समीकरण, स्थानीय नेतृत्व की ताकत और पार्टी की रणनीति का हिस्सा है.इस टिकट की घोषणा के बाद सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है. कांग्रेस ने पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को टिकट दिया है जो पहले भी अंता सीट से चुनाव लड़ चुके हैं.

RAJASTHAN NEWS
अगला लेख