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Jaipur Hospital Fire: डॉक्टरों ने ICU का गेट बंद कर दिया, मरीजों को बचाने के लिए परिजन खुद कूदे अंदर; सामने आए डराने वाले डिटेल

जयपुर के SMS अस्पताल में ICU में आग लगने से छह मरीजों की मौत हो गई. परिजनों के अनुसार, अस्पताल कर्मचारियों ने ICU का गेट बंद कर भाग गए, जिससे परिवारों को खुद मरीजों को बचाना पड़ा. फायर अलार्म नहीं बजा और स्प्रिंकलर काम नहीं कर रहे थे. पुलिस कांस्टेबल और परिजन मिलकर मरीजों को बाहर निकाल सके. प्रशासन ने आरोपों का खंडन किया. घटना अस्पताल सुरक्षा और आपातकालीन व्यवस्था में गंभीर चूक उजागर करती है. मुख्यमंत्री ने इसे अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताया.

Jaipur Hospital Fire: डॉक्टरों ने ICU का गेट बंद कर दिया, मरीजों को बचाने के लिए परिजन खुद कूदे अंदर; सामने आए डराने वाले डिटेल
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( Image Source:  ANI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 6 Oct 2025 1:24 PM

जयपुर के राज्य स्तरीय सबसे बड़े अस्पताल, सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल में रविवार देर रात भयावह आग ने कई परिवारों को उजाड़ दिया. त्रासदी इतनी भयंकर थी कि छिन्न-भिन्न कांच, राख, जली हुई ICU की दीवारें और बिखरी हुई चप्पलें वहां की भयावह स्थिति को दर्शा रही थीं. अस्पताल में इलाजरत छह मरीजों की झुलसने और दम घुटने से मौत हो गई. पीड़ितों के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के कर्मचारियों ने ICU का गेट बंद कर उसे छोड़ दिया और भाग गए, जिसके कारण परिवारों को खुद ही अपने मरीजों को बचाना पड़ा.

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, आग लगते ही अस्पताल के कर्मचारियों ने ICU का गेट लॉक कर दिया और वहां से फरार हो गए. आग की चपेट में फंसे मरीजों को बचाने के लिए पुलिस कांस्टेबल हरि मोहन ने फायर एक्सटिंग्विशर से कांच तोड़कर चादरों की मदद से मरीजों को बाहर निकाला.

अस्पताल में मौजूद सुरक्षा का अभाव

हॉस्पिटल में केवल एक फायरमैन और एक हेल्पर मौजूद थे. घटना के समय फायर अलार्म भी नहीं बजा और दूसरी मंजिल पर स्प्रिंकलर भी काम नहीं कर रहे थे. पिंटू गुजर के भाई दशरथ गुजर ने कहा कि उन्होंने अस्पताल प्रशासन को शॉर्ट सर्किट के बारे में सूचित किया था, लेकिन उनकी बात को नकार दिया गया. उन्होंने कहा, “अस्पताल के स्टाफ ने कहा कि कुछ नहीं होगा. कुछ ही मिनटों में धुआं फैल गया और स्टाफ भाग गया. फायर अलार्म नहीं बजा और फायर एक्सटिंग्विशर भी खाली था.”

परिवारों की आपबीती

रुक्मणी कौर, 55, 17 सितंबर को ब्रेन हेमरेज के कारण SMS हॉस्पिटल में भर्ती हुई थीं. उनके दो पुत्र, शेरू सिंह और जोगिंदर सिंह, शॉर्ट सर्किट होते समय मौके पर थे और उन्होंने अस्पताल स्टाफ को आग की चेतावनी दी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया. शेरू सिंह ने बताया, “मैंने 11:15 बजे अलार्म उठाया जब मुझे धुआं और चिंगारी दिखाई दी. घंटों बाद मैं जले हुए ICU में कूद गया लेकिन मेरी मां को बचा नहीं सका. मेरे हाथ अभी भी धुएं से काले हैं.”

नरेंद्र कुमार की मां, कुशमा, सड़क दुर्घटना के बाद 1 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती हुई थीं. वह डिस्चार्ज होने वाली थीं, लेकिन आग की चपेट में आने के कारण उनकी भी मौत हो गई. नरेंद्र ने बताया, “हमारे पास मेरी मां की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया.”

अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया

अनुराग ढाकड़, ट्रॉमा सेंटर प्रभारी, ने सभी आरोपों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि धुआं और जहरीली गैसें तेजी से फैल गई थीं, जिससे कर्मचारियों के लिए अंदर जाना मुश्किल हो गया. उन्होंने बताया कि ट्रॉमा सेंटर टीम और ग्राउंड स्टाफ ने मरीजों को बचाने की पूरी कोशिश की. उन्होंने कहा, “हमने फायर एक्सटिंग्विशर का इस्तेमाल किया और फायर ब्रिगेड को बुलाया. बिजली का करंट भी फैल रहा था. छह मरीज झुलसने और दम घुटने से मरे. पोस्टमार्टम के बाद स्थिति स्पष्ट होगी.”

राज्य सरकार और जांच

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा रात में अस्पताल पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया. उन्होंने इस घटना को “अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया. पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपे जाएंगे.

जयपुर के SMS हॉस्पिटल में आई यह अग्निकांड अस्पताल सुरक्षा और आपातकालीन व्यवस्था में गहरी चूक को उजागर करती है. परिवारों ने अस्पताल प्रशासन की उपेक्षा और कर्मचारियों की असंवेदनशीलता पर सवाल उठाए हैं. यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि देश के बड़े अस्पतालों में भी आपातकालीन सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य है.

RAJASTHAN NEWS
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