सवाई माधोपुर में सूरवाल बांध से तबाही, 2 किमी लंबी खाई ने गांव को निगला; ढह गए लोगों के मकान और दूकान
ग्रामीणों का कहना है कि इतनी गहराई और चौड़ाई वाली खाई को रोकना आसान नहीं है. खेतों की ज़मीन कटकर पूरी तरह बर्बाद हो रही है और रोज़मर्रा की ज़िंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है. यह सिर्फ सवाई माधोपुर की ही कहानी नहीं है। राजस्थान के कई ज़िलों में इस बार की बारिश ने भारी तबाही मचाई है.

राजस्थान के सवाई माधोपुर ज़िले में इन दिनों बारिश ने कहर मचा रखा है. भारी बरसात की वजह से सूरवाल बांध ओवरफ्लो हो गया और उसके कारण ज़मीन में बड़ी दरार पड़ गई. इस दरार ने धीरे-धीरे 2 किलोमीटर लंबी, करीब 100 फ़ीट चौड़ी और लगभग 55 फ़ीट गहरी खाई का रूप ले लिया. यह खाई आसपास की कृषि भूमि में फैल गई है और सबसे ज़्यादा नुकसान जड़ावता गांव को हुआ है.
बारिश का पानी खेतों से होकर बहता हुआ सीधे इस खाई में गिर रहा है. पानी के तेज़ बहाव के कारण गांव के पास बने दो घर, दो दुकानें और दो मंदिर अचानक ढह गए. वहां अब ऐसा दृश्य दिखाई देता है जैसे कोई बड़ा झरना बह रहा हो. गांववालों का कहना है कि मिट्टी इतनी तेज़ी से कट रही है कि अब इसे रोक पाना लगभग नामुमकिन हो चुका है. अगर अगले कुछ दिनों तक बारिश और जारी रही, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है.
राहत कार्य तेज करने के निर्देश
मामले की जानकारी मिलते ही प्रशासन सक्रिय हो गया. सेना और राहत बल को तुरंत इलाके में भेजा गया और आस-पास के घरों को खाली कराया गया, ताकि किसी बड़ी दुर्घटना से बचा जा सके. प्रशासन लगातार हालात पर नज़र बनाए हुए है. इसी बीच, स्थानीय विधायक और मंत्री करोड़ी लाल मीणा भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और अधिकारियों को मशीनों की मदद से पानी की दिशा बदलने और राहत कार्य तेज़ करने के निर्देश दिए.
रोज़मर्रा की ज़िंदगी हुई अस्त-व्यस्त
लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि इतनी गहराई और चौड़ाई वाली खाई को रोकना आसान नहीं है. खेतों की ज़मीन कटकर पूरी तरह बर्बाद हो रही है और रोज़मर्रा की ज़िंदगी अस्त-व्यस्त हो गई है. यह सिर्फ सवाई माधोपुर की ही कहानी नहीं है. राजस्थान के कई ज़िलों में इस बार की बारिश ने भारी तबाही मचाई है. कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर और झालावाड़ सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िले हैं। कोटा के हरिजी का निमोदा गाँव समेत दीगोद उपखंड में 400 से भी ज़्यादा कच्चे और पक्के मकान ढह गए हैं.
शिवरों में रहने को मजबूर लोग
कई गांव पानी में डूब गए हैं और कई गांव बाकी इलाकों से पूरी तरह कट गए हैं. सैकड़ों लोग अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. सेना, राष्ट्रीय आपदा राहत बल (NDRF) और राज्य आपदा राहत बल (SDRF) लगातार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं. बारिश का पानी भले ही राहत और जीवन देता है, लेकिन जब वह इस तरह बेकाबू हो जाए, तो बाढ़ और मिट्टी का कटाव बड़ी तबाही का रूप ले लेते हैं। राजस्थान इस समय बिल्कुल उसी मुश्किल दौर से गुजर रहा है.