किन्नर को बनाया गर्भवती, अकबर ने भी पुत्र के लिए की थी पैदल यात्रा; पढ़ें अजमेर शरीफ दरगाह के 5 चमत्कारी किस्से
Khwaja Moinuddin Chishti Miracles: अजमेर शरीफ दरगाह इस समय सुर्खियों में है. यह दरगाह राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है. यह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है. इस दरगाह से जुड़े कई चमत्कारी किस्से सुनने को मिलते हैं

Ajmer Sharif Dargah: राजस्थान में एक जिला है- अजमेर... यहीं पर प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है. इस दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली एक याचिका सिविल कोर्ट में दायर की गई है. इस वजह से अजमेर शरीफ दरगाह इन दिनों सुर्खियों में बना हुआ है.
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को भारत में इस्लाम धर्म का संस्थापक भी माना जाता है. बताया जाता है कि वे निजामुद्दीन औलिया के बाद दूसरे सबसे बड़े सूफी संत थे. उनके मुरीद भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में पाए जाते हैं. आइए, आज हम आपको उनके पांच चमत्कारों के बारे में बताते हैं...
1- बेटे की कामना लेकर पैदल चलकर आए थे अकबर
मुगल बादशाह अकबर को कोई बेटा नहीं हो रहा था. उन्होंने जब अजमेर शरीफ दरगाह के बारे में सुना तो वे नंगे पांव 437 किमी पैदल चलकर दरगाह पर पहुंचे. इसके बाद ही उनके घर में जहांगीर का जन्म हुआ.
2- मरे हुए को किया जिंदा
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के बारे में कहा जाता है कि एक बार बूढ़ी औरत उनके पास रोती हुई आई और कहा कि गवर्नर ने उसके बेटे को बिना किसी गलती के मार दिया है. इस पर उन्होंने बूढ़ी औरत से अपने बेटे के शव के पास ले जाने को कहा. शव के पास पहुंचने पर उन्होंने प्रार्थना करते हुए कहा कि अगर यह लड़का निर्दोष है तो जिंदा हो जाए. इतना कहते ही बूढ़ी औरत का बेटा तुरंत जिंदा हो उठा.
3- मलेशिया के प्रधानमंत्री बने टुंकू अब्दुल रहमान
कहा जाता है कि मलेशिया में प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव हो रहे थे. टुंकू अब्दुल रहमान भी चुनाव में खड़े थे. उन्हें सफलता की कोई उम्मीद नहीं थी. तब ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने एक स्थानीय फकीर को लगातार तीन बार सपने में दिखाई दिए और आदेश दिया कि वह रहमान के पास जाए और उसे बताए कि वह प्रधानमंत्री का चुनाव जीत जाएगा. लेकिन उसे जीतने के बाद दरगाह की जियारत के लिए अजमेर शरीफ आने का वादा करना पड़ेगा.
टुंकु अब्दुल रहमान ने आधे मन से वादा किया. इसका नतीजा यह हुआ है कि वे प्रधानमंत्री का चुनाव जीत गए. इसके बाद वे और उनकी पत्नी 25 अक्टूबर 1962 को जियारत के लिए अजमेर शरीफ आए थे.
4- सूख गया था आना सागर झील का पानी
कहा जाता है कि राजा पृ्थ्वीराज चौहान ने आना सागर झील का पानी ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती और उनके अनुयायियों को देना बंद कर दिया. वहां पर सेना तैनात कर दी गई. इसके बाद ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती खुद गिलास लेकर झील के पास पहुंचे और पूरा पानी गिलास में भर दिया. इससे अजमेर के सभी जलस्रोत सूख गए. कहा जाता है कि जब राजा ने माफी मांगी तब जाकर झील में पानी आया.
5- किन्नर बनी गर्भवती
अजमेर शरीफ दरगाह के पास ही मीरां सैयद हुसैन खिंगसवार की एक दरगाह है. यहां पर एक चमत्कारी पेड़ है. कहा जाता है कि इस पेड़ के फल को को जो खाता है, उसके यहां पुत्र जरूर जन्म लेता है. एक बार एक किन्नर ने इस पेड़ के फल को खा लिया, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई. उसने एक बेटे को जन्म दिया. यह दरगाह तारागढ़ पहाड़ पर है.