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'बाउंसर लोगों में डर और आतंक फैला रहे...' फर्जी सिक्योरिटी एजेंसी पर पंजाब और हरियाणा HC नाराज

Punjab And Haryana HC: कोर्ट ने पंजाब में बाउंसर संस्कृति के चलन पर चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने कहा, इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि कैसे कुछ मालिक और कर्मचारी 'बाउंसर' की साधारण भूमिका के नाम पर आतंक फैलाने और दबंगई का व्यवहार अपनाने लगे हैं.

बाउंसर लोगों में डर और आतंक फैला रहे... फर्जी सिक्योरिटी एजेंसी पर पंजाब और हरियाणा HC नाराज
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( Image Source:  Canva )
निशा श्रीवास्तव
Edited By: निशा श्रीवास्तव

Updated on: 21 May 2025 1:04 PM IST

Punjab And Haryana HC: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अवैध निजी सुरक्षा एजेंसी मामले की सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने पंजाब में बाउंसर संस्कृति के चलन पर चिंता जाहिर की है. कोर्ट ने मामले में आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी है.

जानकारी के अनुसार, जास सिक्योरिटी खन्ना एजेंसी के मालिक जगवीर सिंह ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि आरोपी तरनजीत सिंह और उसके सहयोगी रोशन लाल ने फ़तेह ग्रुप नाम की एक बिना लाइसेंस वाली सुरक्षा एजेंसी चलाई और शिकायतकर्ता को धमकाया तथा उसकी बदनामी की.

क्या है मामला?

शिकायत में कहा गया कि तरनजीत सिंह और रोशन लाल ने मोबाइल फोन के जरिए जगवीर सिंह को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी. साथ ही फेसबुक व इंस्टाग्राम पर झूठी कहानियां पोस्ट कर उसकी छवि खराब की. खन्ना के डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस की जांच में पता चला कि तरनजीत सिंह और उसका सहयोगी बिना लाइसेंस के काम कर रहे थे, जो पंजाब निजी सुरक्षा एजेंसी नियमावली, 2007 का उल्लंघन है.

कोर्ट ने क्यों दी जमानत?

तरनजीत सिंह ने पहले एनडीपीएस एक्ट की धारा 15 के तहत दर्ज एक पुराने मुकदमे के कारण अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी, फिर भी अदालत ने कहा कि अब हिरासत में लेकर पूछताछ की आवश्यकता नहीं है. अदालत ने कहा, अगर पुलिस वास्तव में आरोपी को गिरफ्तार करना चाहती, तो कर चुकी होती क्योंकि उन्होंने दूसरे रोशन को गिरफ्तार कर लिया है. यह ऐसा मामला नहीं है जहां मुकदमे से पहले हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी हो. अदालत ने जुर्माना भरने के साथ आरोपी को अग्रिम जमानत दी और जांच में सहयोग करने का आदेश दिया.

बाउंसर संस्कृति चिंताजनक-कोर्ट

अदालत ने कहा, इस कोर्ट के लिए सबसे बड़ा मुद्दा 'फ़तेह बाउंसर सिक्योरिटी ग्रुप' में 'बाउंसर' शब्द का प्रयोग है. इस तरह की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि कैसे कुछ मालिक और कर्मचारी 'बाउंसर' की साधारण भूमिका के नाम पर आतंक फैलाने और दबंगई का व्यवहार अपनाने लगे हैं. यह वर्ग अब आक्रामकता की ढाल ओढ़ कर नागरिकों को अपमान और भय में रखने लगा है, और यह सोचता है कि उनके ऊपर कोई कानून नहीं है.

लोगों में फैलाया जा रहा आतंक

अदालत ने कहा कि पंजाब में अब यह शब्द निजी बाहुबल के प्रतीक के रूप में देखा जाने लगा है. ये लोग असंवैधानिक अधिकारों की तरह व्यवहार करते हैं और धमकी, डर, बल प्रयोग और हिंसा को हथियार बना चुके हैं. इसके बाद अदालत ने कहा, 'बाउंसर' शब्द का कोई कानूनी आधार नहीं है. प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसिज़ (रेगुलेशन) एक्ट, 2005 में कहीं भी बाउंसर शब्द का जिक्र नहीं है. सुरक्षा एजेंसियों को सुरक्षा गार्ड भर्ती करने होते हैं, न कि बाउंसर.

अदालत कहा, यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि कोई भी रिकवरी एजेंट या सुरक्षा एजेंसी अपने कर्मचारियों के लिए 'बाउंसर' शब्द का प्रयोग न करे, जिससे सुरक्षा कर्मी अपनी भूमिका को सम्मान, गरिमा और जिम्मेदारी के साथ निभा सकें.

पंजाब न्‍यूज
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