'पिता की मौत के चलते...' गर्भ में पल रहे बच्चे को मिले सड़क हादसे का मुआवजा, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का अनोखा फैसला
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि सड़क दुर्घटना में मृतक के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजा मिलेगा. इस फैसले में, मृतक की विधवा के लिए अतिरिक्त 9.29 लाख रुपये मुआवजा और अन्य संबंधित दावों पर निर्णय लिया गया. यह निर्णय पीड़ित परिवार के लिए एक बड़ी राहत साबित हुआ.

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सड़क दुर्घटना के दौरान मां के गर्भ में पल रहा बच्चा भी मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजे का हकदार है. यह फैसला एक मामले में दिया गया, जहां दुर्घटना के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई और उस समय उसकी पत्नी गर्भवती थी.
इस मामले में मृतक राकेश कुमार की मोटरसाइकिल एक ट्रैक्टर से टकरा गई थी, जिससे उनकी मृत्यु हो गई. उस समय उनकी पत्नी गर्भवती थी और कुछ महीनों बाद उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया. मृतक के परिवार ने ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की, जिसमें मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की गई थी.
लापरवाही से हुई थी दुर्घटना
न्यायालय ने मामले की गहराई से जांच करने के बाद माना कि दुर्घटना लापरवाही से हुई थी और मृतक के परिवार को न्याय मिलना चाहिए. इसके आधार पर, कोर्ट ने अतिरिक्त 9.29 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. इसके साथ ही, मृतक की मासिक आय को पुनः आंका गया और न्यूनतम मजदूरी के अनुसार संशोधित किया गया.
अजन्मे बच्चे को भी मिला न्याय
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि गर्भ में पल रहे शिशु को भी मुआवजा मिलना चाहिए, क्योंकि वह भी अपने पिता की मृत्यु के कारण प्रभावित हुआ है. यह फैसला एक मिसाल कायम करता है कि सड़क दुर्घटना के मामलों में सिर्फ जीवित सदस्यों को ही नहीं, बल्कि अजन्मे बच्चे को भी न्याय मिल सकता है. इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ित परिवार को समुचित मुआवजा मिलना चाहिए. यह फैसला उन मामलों में भी सहायक साबित हो सकता है, जहां दुर्घटना के कारण गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों पर असर पड़ता है.
प्रत्यक्षदर्शी ने क्या बताया?
प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि आरोपी ट्रैक्टर को लापरवाही से चला रहा था और मोटरसाइकिल से टक्कर होने के बाद, उसने मौके से भागने के बजाय ट्रैक्टर को छोड़ दिया. इस घटना ने दुर्घटना के कारण पीड़ित परिवार के लिए दर्दनाक स्थिति उत्पन्न कर दी. मृतक की आय के बारे में कोई दस्तावेज नहीं था, लेकिन उसे अस्थायी मजदूर मानते हुए, न्यायालय ने उसे न्यूनतम मजदूरी के आधार पर मुआवजा निर्धारित किया. न्यायालय ने न्यायाधिकरण द्वारा लगाए गए 18 गुणक को सही ठहराया और किसी अतिरिक्त वृद्धि की आवश्यकता नहीं बताई. इसके साथ ही, मृतक के अंतिम संस्कार के खर्च के लिए 20,000 रुपये का मुआवजा भी दिया गया. यह निर्णय उन मामलों के लिए एक उदाहरण पेश करता है जहां दुर्घटनाओं में पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके, भले ही दुर्घटना के वक्त मृतक का आय प्रमाण पत्र उपलब्ध न हो.