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NDA VS INDIA में फिर वक्फ बिल पर संग्राम, लोकसभा में आज पेश होगा बिल; मुस्लिम समुदाय को किसका डर?

वक्फ संशोधन बिल को लेकर NDA बनाम INDIA गठबंधन के बीच जबरदस्त टकराव देखने को आज मिलेगा. यह विधेयक आज लोकसभा में पेश किया जाएगा, जिसे लेकर मुस्लिम समुदायों में चिंता जताई जा रही है. विपक्षी दलों का दावा है कि यह बिल असंवैधानिक और मुस्लिम विरोधी है, जबकि सरकार इसे वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए जरूरी बता रही है. AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे ‘वक्फ बर्बाद बिल’ करार दिया है.

NDA VS INDIA में  फिर वक्फ बिल पर संग्राम, लोकसभा में आज पेश होगा बिल; मुस्लिम समुदाय को किसका डर?
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सागर द्विवेदी
By: सागर द्विवेदी

Updated on: 2 April 2025 1:00 PM IST

संसद में बुधवार को पेश होने वाले वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ सभी विपक्षी दल एकजुट हो गए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को कांग्रेस, शिवसेना (UBT) और CPI (M) समेत कई दलों की बैठक के बाद कहा कि सरकार का यह विधेयक 'विभाजनकारी' है और इसे हराने के लिए विपक्ष एकजुट होकर संसद में विरोध करेगा. खड़गे ने ट्वीट किया, 'सभी विपक्षी दल एकजुट हैं और संसद के भीतर इस असंवैधानिक व विभाजनकारी वक्फ संशोधन विधेयक को हराने के लिए मिलकर काम करेंगे.'

विपक्ष का विरोध और रणनीति

विपक्षी दलों की यह बैठक बुधवार दोपहर 12 बजे लोकसभा में पेश किए जाने वाले वक्फ विधेयक पर रणनीति तय करने के लिए बुलाई गई थी. शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि विपक्ष इस विधेयक पर चर्चा में भाग लेगा, लेकिन इसके खिलाफ मतदान करेगा. वहीं, CPI (M) नेता जॉन ब्रिट्टास ने कहा कि विपक्ष इस विधेयक का 'पूरी ताकत से विरोध' करेगा. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने लोकसभा सांसदों को तीन दिन तक सदन में मौजूद रहने का निर्देश देते हुए व्हिप जारी किया है.

विधेयक का उद्देश्य और विवाद

वक्फ संशोधन विधेयक भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने के लिए लाया गया है. विपक्षी दलों ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे असंवैधानिक और मुस्लिम विरोधी करार दिया है. यह विधेयक 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव रखता है, जो मुसलमानों द्वारा दान की गई संपत्तियों के प्रबंधन को नियंत्रित करता है. इसे पहली बार पिछले साल अगस्त में संसद में पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष और विभिन्न मुस्लिम संगठनों के विरोध के चलते इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया.

JPC ने कई हफ्तों तक इस पर विचार-विमर्श किया, जिसमें तीखी बहसें हुईं. तृणमूल कांग्रेस सांसद कल्याण बनर्जी ने तो इस दौरान ग्लास बोतल तक तोड़ दी, जिससे वह घायल हो गए. अंततः समिति ने विधेयक में 14 संशोधनों को मंजूरी दी, जबकि विपक्षी सांसदों द्वारा सुझाए गए 44 संशोधनों को खारिज कर दिया. फरवरी में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी.

संसद में सत्ता पक्ष बनाम विपक्ष

बीजेपी के नेतृत्व वाला केंद्र सरकार इस विधेयक पर आठ घंटे की बहस के लिए तैयार है और अपने बहुमत के कारण इसे पारित कराने को लेकर आश्वस्त है. फिलहाल एनडीए के पास लोकसभा में 293 सांसद हैं, जिसमें से अकेले बीजेपी के 240 सांसद हैं. दूसरी ओर, कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष इसे रोकने के लिए पूरी ताकत झोंकने की बात कर रहा है.

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक को 'वक्फ बर्बाद विधेयक' करार देते हुए कहा, 'यह असंवैधानिक है. अगर कोई गैर-हिंदू हिंदू एंडोमेंट बोर्ड का सदस्य नहीं बन सकता, तो फिर यहां गैर-मुस्लिम को शामिल करने की कोशिश क्यों की जा रही है?'

सरकार का पक्ष

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि वे 'निर्दोष मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं' और झूठ फैला रहे हैं कि सरकार उनकी कब्रगाहें और मस्जिदें छीन लेगी. रिजिजू ने कहा, "कुछ लोग कह रहे हैं कि यह विधेयक असंवैधानिक है। वक्फ नियम और उसके प्रावधान आजादी से पहले से ही लागू हैं. फिर यह कैसे गैरकानूनी हो सकता है?'

INDIA गठबंधन का रुख

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि INDIA गठबंधन ने इस विधेयक को लेकर पहले ही स्पष्ट रुख अपनाया है. 'यह विधेयक एक लक्षित कानून है और मौलिक रूप से संविधान विरोधी है. हम इसका कड़ा विरोध करेंगे. सभी गठबंधन दलों ने सर्वसम्मति से इसे खारिज करने का फैसला लिया है. विपक्ष ने अन्य समान विचारधारा वाले दलों से भी विधेयक के खिलाफ मतदान करने की अपील की है.

नरेंद्र मोदीवक्फ बोर्ड
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