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धार्मिक ग्रंथों का अपमान बनेगा मौत का कारण! इस दिन मान सरकार पेश कर सकती है फांसी का बिल

पंजाब सरकार एक बड़े और सख्त कदम की तैयारी में है. राज्य में अगर कोई धार्मिक ग्रंथों का अपमान करता है, तो उसे मौत या उम्रकैद तक की सजा मिल सकती है. इसके लिए सरकार एक नया कानून बनाने पर विचार कर रही है. फिलहाल, इस प्रस्तावित कानून को कानूनी कसौटी पर खरा उतारने के लिए कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ली जा रही है.

धार्मिक ग्रंथों का अपमान बनेगा मौत का कारण! इस दिन मान सरकार पेश कर सकती है फांसी का बिल
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( Image Source:  x-@DHAKKADCONGRESS )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 6 July 2025 5:30 PM IST

पटियाला के समाना में बीएसएनएल टावर पर चढ़े पूर्व सैनिक गुरजीत सिंह ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वालों को फांसी देने की मांग की. ये घटना सरकार के लिए एक चेतावनी बनकर आई. गुरजीत सिंह की इस आत्मबलिदान जैसी कार्रवाई ने सरकार को झकझोर दिया.

मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुआई में आम आदमी पार्टी की सरकार ने फैसला लिया कि अब इस मुद्दे पर और देरी नहीं की जा सकती है. 7 जुलाई को कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव लाने की योजना बनाई गई, ताकि 10 जुलाई से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में इसे पेश किया जा सके.

पहले भी हो चुकी है कोशिश

इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने भी अगस्त 2018 में IPC की धारा 295A में संशोधन कर ऐसा ही बिल पास किया था. इसमें धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वालों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान था, लेकिन यह बिल राष्ट्रपति की मंजूरी तक नहीं पहुंच पाया और लंबा समय न्यायिक प्रक्रिया में अटका रहा.

केंद्र से टकराव और नया कानून

जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी, तो मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस बिल को दोबारा जीवित करने की कोशिश की. 2023 में उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा. लेकिन तब तक भारतीय दंड संहिता (IPC) को हटाकर भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू की जा चुकी थी. केंद्र सरकार ने पुराना बिल लौटा दिया और कहा कि नए कानून के तहत राज्य अपना संशोधित एक्ट बनाए.

अब नए कानून की भाषा में नया बिल

BNS के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने जैसी घटनाओं के लिए तीन मुख्य धाराएं – 298, 299, और 300 लागू होती हैं. इनमें अधिकतम सजा तीन साल तक की है. लेकिन भगवंत मान सरकार इससे भी कड़े कदम उठाना चाहती है. मुख्यमंत्री चाहते हैं कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी पर मौत की सजा या उम्रकैद का प्रावधान हो.

लेकिन क्या यह बिल टिक पाएगा?

पार्टी के भीतर ही इस बिल को लेकर मतभेद हैं. एक बड़ा वर्ग मानता है कि अगर इसमें मौत की सजा रखी गई, तो यह संविधान और न्यायिक व्यवस्था की कसौटी पर नहीं टिकेगा. इसी कारण सरकार ने फिलहाल बिल को कानूनी विशेषज्ञों के पास भेजा है, ताकि हर पेचिदगी को पहले ही हल किया जा सके.

अंतिम फैसला जल्द

7 जुलाई की कैबिनेट बैठक में इस पर फैसला लिया जाएगा और यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो 10 जुलाई से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में यह बिल पेश किया जाएगा. यह कानून केवल एक सख्त सजा नहीं होगा, बल्कि धार्मिक आस्था की रक्षा का प्रतीक बन सकता है या फिर कानूनी लड़ाई का एक नया अध्याय खोल सकता है.

पंजाब न्‍यूज
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