VIT भोपाल हिंसा पर बड़ा खुलासा, पीलिया फैलने की जानकारी को छिपाया; यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट की गुंडागर्दी का भंडाफोड़
VIT भोपाल यूनिवर्सिटी में बीते दिन छात्रों ने खूब हंगामा काटा था. जिसके बाद हिंसा जांच के लिए एक समिति बनी और बड़ा खुलासा हुआ. दरअसल यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने परिसर में पीलिया फैलने की जानकारी को दबाया और छात्रों की शिकायत पर भी कोई ध्यान नहीं दिया.
वीआईटी भोपाल विश्वविद्यालय में 25 नवंबर को हुई भारी हिंसा और आगजनी के मामले की जांच कर रही आधिकारिक समिति ने अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए है. करीब 4,000 छात्रों की भागीदारी वाली इस उग्र घटना का कारण परिसर में फैले पीलिया के प्रकोप को दबाने का प्रयास बताया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक समिति का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने बीमारी को छिपाया, छात्रों की शिकायतों को नजरअंदाज किया और कैंपस को किले जैसी संरचना में बदल दिया था. रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि भोजन-पानी की स्थिति बेहद खराब थी. छात्रों में लगातार बढ़ती नाराजगी को अनदेखा करने के बाद ही हालात हिंसा में बदल गए.
पीलिया फैलने की जानकारी छिपाई गई
मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशासन बीमारी के फैलाव की जानकारी होते हुए भी उसे सार्वजनिक न कर स्थिति को दबाने में जुटा रहा. समिति ने कहा "बीमारी के प्रसार की जानकारी होने के बावजूद प्रशासन ने इसे छुपाया और मामले को दबाने का प्रयास किया."
समिति के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रबंधन ने स्वीकार किया कि 23 छात्र और 12 छात्राएं पीलिया से पीड़ित थीं. इसके बावजूद कैंपस हेल्थ सेंटर के पास वास्तविक आंकड़ों का कोई सटीक रिकॉर्ड नहीं था.
भोजन और पानी की बेहद खराब गुणवत्ता
रिपोर्ट में मेस को लेकर छात्रों की नाराजगी को बेहद गंभीर करार दिया गया है. समिति ने बताया “छात्रावास की मेस सेवाएं बेहद खराब है भोजन और जलपान की गुणवत्ता के बारे में अधिकांश छात्रों ने नकारात्मक प्रतिक्रिया दी.” कुछ छात्राओं ने समिति को बताया कि पीने के पानी से दुर्गंध आती थी. छात्रों का कहना था कि शिकायतें करने पर कोई समाधान नहीं मिलता, बल्कि जवाब मिलता है “जो भी परोसा जाए, वही खाएं.”
कैंपस बना किला, अधिकारी को भी रोका गया
जांच रिपोर्ट में कहा गया कि विश्वविद्यालय परिसर को किला बना दिया गया था. समिति ने कहा “कैंपस की चारदीवारी के अंदर मैनेजमेंट अपने ही नियम लागू करता है. किसी को भी उनके बारे में बोलने की इजाजत नहीं है. इतना ही नहीं सीहोर जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को गेट पर दो घंटे तक रोका गया."
अफवाहों के बीच भड़की थी हिंसा
हिंसा तब भड़की जब कैंपस में पीलिया फैलने और तीन छात्रों की मौत की अफवाह फैल गई. बाद में विश्वविद्यालय ने कहा कि दो मौतें हुई थीं, लेकिन वे पीलिया से संबंधित नहीं थीं. रिपोर्ट में कहा गया कि बढ़ते असंतोष को शांत करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया. समिति लिखती है “जब स्थिति पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो गई, तब रात 2 बजे पुलिस को बुलाया गया, जिसके बाद व्यवस्था बहाल हुई.”





