अब शिप्रा में नहीं मिलेगा गंदा पानी, टनल के जरिए कान्ह नदी को किया जाएगा डायवर्ट; जानें पूरा प्लान
मध्य प्रदेश के उज्जैन में महत्वपूर्ण पर्व-स्नानों पर श्रद्धालु गंदे पानी में नहीं, बल्कि साफ व स्वच्छ पानी में स्नान कर सकेंगे. इसके लिए कान्ह नदी को टनल के सहारे डायवर्ट किया जाएगा. इसके लिए 919 करोड़ रुपये खर्च कर सरकार क्लोज डक्ट योजना पर काम कर रही है. आइए, इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं...

Shipra River Ujjain: मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में शिप्रा नदी को साफ करने का काम जोरों पर है. कान्ह नदी का गंदा पानी शिप्रा तक न पहुंचे, इसके लिए 919 करोड़ रुपये खर्च कर सरकार क्लोज डक्ट योजना पर काम कर रही है. इसके जरिए 30 किलोमीटर लंबी कान्ह नदी को डायवर्ट किया जाएगा, जिसके लिए 18 किमी लंबी नहर और 12 किमी लंबी सुरंग बनाई जा रही है.
टनल कुछ जगहों पर 26 मीटर तक गहरी होगी. अभी तक प्रोजेक्ट का 6 माह में केवल 15 फीसदी काम हुआ है. प्रोजेक्ट के मार्च 2027 तक पूरे होने की उम्मीद की गई है.
शिप्रा को मैली कर रही कान्ह नदी
बता दें कि इंदौर से आने वाली कान्ह नदी के गंदे पानी से मोक्षदायिनी शिप्रा मैली हो रही है. महत्वपूर्ण पर्व स्नानों पर शिप्रा से गंदा पानी निकालकर उसमें नर्मदा नदी का पानी छोड़ा जाता है. इसमें करोड़ों रुपये खर्च होते हैं. इसके स्थायी समाधान के लिए क्लोज डक्ट कान्ह डायवर्सन योजना पर काम किया जा रहा है.
इस समय 12 किमी में 4 जगह 100 फीट गहरी टनल बनाई जा रही है. इस काम में 400 लोगों की टीम जुटी हुई है, जो दो शिफ्ट में काम कर रही है. प्रोजेक्ट का ठेका हैदराबाद की मेसर्स वेंसर कंस्ट्रक्शन कंपनी व रिवरवोल्ट हाइड्रो एलएलपी के वेंचर्स प्रोजेक्ट को दिया गया है.
टनल के ऊपर होगी खेती
कान्ह नदी के डायवर्जन के लिए इंदौर रोड स्थित जमालपुरा गांव से कट एंड कवर योजना पर काम शुरू किया गया. यह योजना 12 से ज्यादा गांवों से होकर गुजरेगी और गंभीर पर पूरी होगी. इसकी कुल लंबाई 13 किमी होगी. टनल 100 फीट गहरी होगी. यह कान्ह के गंदे पानी को गंभीर नदी की डाउन स्ट्रीम में छोड़ेगी. वहीं, सेवरखेड़ी गांव में बैराज बनाया जाएगा. यहां शिप्रा के पानी को लिफ्ट कर सिलारखेड़ी डैम में डाला जाएगा.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार की ओर से 700 करोड़ रुपये की लागत से एक नई योजना शुरू की गई है, जिससे प्रदूषित जल को क्षिप्रा नदी में मिलने से रोका जा सके. इससे सिंहस्थ की दृष्टि से उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं को क्षिप्रा जी के शुद्ध जल से स्नान करने की व्यवस्था संभव होगी तथा कान्ह नदी के जल का शोधन करके गंभीर नदी में भेजा जाएगा, जहां से किसान सिंचाई के लिए इस पानी को ले सकेंगे.