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विज्ञान ने इतनी भी तरक्की नहीं की जो मुर्दे फोन पर बात करने लगें... कोर्ट ने हत्या के आरोपी पिता-पुत्री की रद्द की सजा

MP High Court: एमपी हाई कोर्ट ने एक शख्स की हत्या में आरोपी पिता और पुत्री की उम्रकैद की सजा रद्द की. अदालत ने कहा कि मृतक राजेन्द्र से जुड़ी कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स में 19 सितंबर से 25 सितंबर, 2021 तक संबंधित बेटी से लगातार बातचीत दिखाई दे रही है जबकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बताती है कि उसकी मौत पहले ही हुई थी.

विज्ञान ने इतनी भी तरक्की नहीं की जो मुर्दे फोन पर बात करने लगें... कोर्ट ने हत्या के आरोपी पिता-पुत्री की रद्द की सजा
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( Image Source:  canava )

MP High Court: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में पिता-पुत्री को उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया. दोनों एक व्यक्ति की हत्या मामले में आरोपी थे. यह मामला साल 2021 का बताया जा रहा है. इस मामले की सुनाई जस्टिस विवेक अग्रवाल और अवनिन्द्र कुमार सिंह की बेंच ने की. साल 2023 में मंडला जिले स्थित सेशन कोर्ट ने आरोपियों को उम्रकैद का फैसला सुनाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि पुलिस की जांच बेईमान, मशीन-मेकैनिकल और फर्जी थी और उन्होंने पूछा, विज्ञान अभी इतना विकसित नहीं हुआ है कि कोई मृत व्यक्ति मोबाइल फोन से अपने प्रेमिका या आरोपी की बेटी से बातचीत कर सके.

क्या है मामला?

नवंबर 2023 में मंडला जिले के एक सेशन कोर्ट ने नैन सिंह धुर्वे और उनकी बेटी को राजेंद्र नाम के युवक की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई. केस में कथित गवाह चेत सिंह को पुलिस ने पांच महीने बाद गवाह बताया, जिसने बताया था कि राजेंद्र 19 सितंबर 2021 को लापता हो गया था, मौत से पहले बाइक खराब होने की वजह से वह कथित धुर्वे के घर पर ही रुका था.

सिंह ने कहा, देर रात वह उठा तो देखा, बाप-बेटी मिलकर किसी को मार रहे हैं. पुलिस को लगा कि वह राजेंद्र ही होगा. पुलिस ने धुर्वे की बेटी के राजेंद्र के साथ अफेयर होने के शक में उसे गिरफ्तार किया था. हालांकि मृतक की फैमिली ने कभी-कभी अफेयर या लड़की से जुड़े रिश्ते के बारे में नहीं बताया. पुलिस ने लड़की से इस बारे में पूछा भी नहीं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

फेक कॉल डिटेल

अदालत ने कहा कि मृतक राजेन्द्र से जुड़ी कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स में 19 सितंबर से 25 सितंबर, 2021 तक संबंधित बेटी से लगातार बातचीत दिखाई दे रही है जबकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बताती है कि उसकी मौत कुछ दिन पहले ही हुई थी. उच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य के डीजीपी को इस जांच अधिकारी और अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू करनी चाहिए. फिर जांच रिपोर्ट 30 दिन के अंदर अदालत में पेश करने को का आदेश दिया.

कोर्ट ने कहा, पुलिस और शिकायतकर्ता के झूठ पर निर्भर होकर सच्ची, पारदर्शी और स्वतंत्र जांच की बजाय चार्जशीट फाइल करने में लगे रहे. हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रॉसिक्यूशन गवाह- जिसमें एक मुख्य गवाह चेन सिंह शामिल था, उसने स्वयं स्वीकार किया कि उसे पुलिस ने केरल से लाकर पेश किया था. गवाह की जांच भी नहीं की गई, जिससे पूरे मुकदमे में बड़ा झूठे आरोप लगाया गया है.

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