महिला का पति से था झगड़ा, किसी और शख्स पर भी लगा चुकी थी आरोप; कोर्ट ने दी रेप के आरोपी को जमानत
अदालत ने मामले के मैरिट पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन आरोपी को जमानत देते हुए फैसला सुनाया कि हिरासत में लेकर पूछताछ करने की कोई आवश्यकता नहीं है. आरोपी पर रेप का मामला दर्ज था.

मध्य प्रदेश की हाई कोर्ट ने बलात्कार के मामले में एक आरोपी को जमानत दे दी है. शख्स पर आरोप है कि उसने महिला से शादी का झूठा वादा किया. इस दौरान उसने महिला के साथ फिजिकल रिलेशन भी बनाए. अब इस मामले में न्यायमूर्ति अचल कुमार पालीवाल की अध्यक्षता वाली अदालत ने आरोपी के पक्ष में फैसला सुनाया है. इस केस में पाया गया है कि शिकायत करने वाली महिला शादीशुदा है, जहां उसका 1 साल से आरोपी से रिश्ता था.
इतना ही नहीं, इस महिला ने पहले भी एक दूसरे व्यक्ति के खिलाफ इसी तरह का मामला दर्ज कराया था. अपील करनेवाला को 18 नवंबर, 2024 को भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 69 (जो धोखे से यौन संबंध बनानेसे संबंधित है) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(2)(v) के तहत गिरफ्तार किया गया था.
शादी का किया झूठा वादा
जहां 13 सितंबर 2024 को एफआईआर के अनुसार अपीलकर्ता फेसबुक के जरिए से महिला से मिला था. कथित तौर पर 9 जुलाई, 2024 और 25 अगस्त के बीच शादी के झूठे बहाने से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए.आरोपी के वकील मनीष दत्त ने कहा कि शिकायतकर्ता एक शादीशुदा महिला थी, जिसकी साथ पति के साथ अनबन होती रहती थी. ऐसे में उसने अपने पति पर दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 125 के तहत एक मामला दर्ज कराया था.
महिला के पति ने की आत्महत्या
आरोपी ने बताया कि एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई थी. साथ ही, उसने बताया कि इसमें स्पष्टीकरण की कमी थी. इसके अलावा, शिकायतकर्ता ने बताया कि महिला ने पहले भी अन्य व्यक्ति पर इस तरह के आरोप लगाए हैं. इसके चलते व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली थी. जहां महिला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लंबित थे. इसके आगे अपीलकर्ता ने बताया कि उसने जांच में पूरा सहयोग किया था. साथ ही, आगे हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि चार्ज शीट पहले ही फाइल की जा चुकी है.
अपील खारिज करने पर दिया जोर
इसके विपरीत सरकारी वकील संतोष यादव ने कहा कि आरोपों की प्रकृति अपीलकर्ता को जमानत से अयोग्य ठहराती है. इसके अलावा, आपत्तिकर्ता/शिकायतकर्ता के वकील एडवोकेट अमन सोनी ने अपीलकर्ता के कथित आपराधिक इतिहास का हवाला देते हुए आवश्यक वस्तु अधिनियम और एमपी आबकारी अधिनियम के तहत उल्लंघन का हवाला दिया और अपील को खारिज करने पर जोर दिया.