महाकाल को कैसे चढ़ेगा प्रसाद, क्या उज्जैन में नहीं लागू होगा MP में धार्मिक स्थलों पर शराबबंदी का कानून?
Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में धार्मिक स्थलों पर शराब पर प्रतिबंध ने उज्जैन के काल भैरव मंदिर पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जहां शराब मुख्य 'प्रसाद' है. प्रतिबंध के बावजूद मंदिर में परंपराएं जारी हैं. उज्जैन में शराब की दुकानें बंद रहेंगी, लेकिन प्रसाद की प्रथा जारी रह सकती है.

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में धार्मिक स्थलों पर शराब पर प्रतिबंध ने एक दिलचस्प सवाल खड़ा कर दिया है. उज्जैन के प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर का क्या होगा, जहां शराब मुख्य प्रसाद शराब है. मंदिर के बाहर स्टॉल में प्रसाद की हर टोकरी में शराब की बोतल और एक नारियल होता है. दरअसल, राज्य सरकार मंदिर के बाहर शराब की दुकानें चलाती है, ताकि भक्तों को ठगा न जाए.
इसे लेकर स्थानीय अधिकारी सरकार से निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने काल भैरव मंदिर के बारे में अपना जवाब दिया है. सीएम ने कहा, 'आप प्रसाद मंदिर में ले जा सकते हैं.' यह पूछे जाने पर कि क्या धार्मिक शहरों में शराब के सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध है. उन्होंने कहा, 'अरे... अगर हम दुकानें बंद कर देंगे, तो शराब पीने के लिए कहां से मिलेगी?'
1 अप्रैल से सभी धार्मिक स्थानों पर शराबबंदी
कैबिनेट के फैसले के बाद 1 अप्रैल से उज्जैन में शराब की दुकानें बंद हो जाएंगी, लेकिन सीएम की बातों से लगता है कि भगवान काल भैरव के मंदिर में शराब का प्रसाद परोसा जाता रहेगा.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर के पुजारी ओम प्रकाश चतुर्वेदी ने बताया कि पहले भी शराब पर प्रतिबंध लगाई गई है, लेकिन मंदिर में परंपराएं कभी नहीं टूटीं.
'शराब चढ़ाना एक प्राचीन प्रथा'
उन्होंने कहा, 'यहां तक कि 2016 में सिंहस्थ उत्सव के दौरान भी प्रतिबंध के बावजूद भगवान को शराब चढ़ाई गई थी. सरकार आबकारी विभाग के माध्यम से एक काउंटर प्रदान करती है ताकि भक्तों को प्रसाद के लिए शराब उपलब्ध हो सके.'
उन्होंने कहा कि देवता को शराब चढ़ाना एक प्राचीन प्रथा है. उन्होंने बताया, 'इन देवताओं को 'तामसिक' माना जाता है. इसी तरह देवी कालिका को भी शराब चढ़ाई जाती है.'
'मंदिर के बाहर भक्तों के लिए दो काउंटर'
सहायक आयुक्त (आबकारी) राजनारायण सोनी ने कहा कि मंदिर में शराब प्रसाद का मुद्दा सरकार तय करेगी. उन्होंने कहा, 'फिलहाल मंदिर के बाहर भक्तों के लिए दो (शराब) काउंटर हैं. वे आबकारी विभाग की देखरेख में संचालित होते हैं. आस-पास कोई लाइसेंसी दुकान नहीं है.'