यह लोकतंत्र की हत्या है! मध्य प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र से पहले क्यों भिड़ गए सत्ता पक्ष और विपक्ष?
Madhya Pradesh Assembly: 28 जुलाई से मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने वाला है, उससे पहले परिसर में विरोध-प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है. विधानसभा अब साइलेंस जोन में बदली गई है. विपक्षी पार्टियां इस आदेश का विरोध कर रहे हैं.

Madhya Pradesh Assembly: मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार 28 जुलाई से शुरू होगा और 8 अगस्त तक चलेगा. सत्र शुरू भी नहीं हुआ कि पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विवाद देखने को मिल रहा है. दरअसल विधानसभा परिसर में नारेबाजी, धरना-प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है. विपक्षी पार्टियां इसी फैसले का विरोध कर रही हैं.
विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने इस संबंध में निर्देश जारी किया है. राज्य सचिवालय के अनुसार यह कदम शिष्टाचार बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है, लेकिन इसमें विपक्षी कांग्रेस ने इसे मनमानी बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है.
क्या है नियम?
सचिवालय ने कहा कि स्टैंडिंग ऑर्डर 94 (2) के तहत अब मास्क, प्रतीकात्मक वस्तुएं, हार्न और किसी भी तरह के प्रदर्शन पर रोक रहेगी. विधानसभा अब साइलेंस जोन में बदली गई है. भाजपा विधायक और पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने कहा, विधानसभा धरना-प्रदर्शन और कुश्ती के लिए नहीं बल्कि संविधान के तहत गंभीर चर्चा के लिए हैं. प्रदर्शन किसी मैदान में किया जाए. विपक्ष विधानसभा को थिएटर न बनाए.
उमंग सिंघार ने किया विरोध
कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने X पोस्ट इस आदेश की आलोचन की. उन्होंने लिखा, यह लोकतंत्र की हत्या है. सरकार न तो विधानसभा की कार्यवाही को लाइव दिखाने जा रही है, न प्रदर्शन की अनुमति दे रही है और अब यहां नारेबाजी पर भी पाबंदी लगा दी है. बता दें कि जिन चीजों पर पाबंदी लगाई गई है, उनका पिछले सत्रों में कांग्रेस विधायकों ने भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के मुद्दों पर ध्यान खींचने के लिए इस्तेमाल करते थे.
कांग्रेस ने किया विरोध
उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा, यह आदेश लोकतंत्र की आवाज को कुचला जा रहा है. उनका कहना है कि अनुच्छेद 194 विधायकों को जनता के मुद्दों को सदन में उठाने की विशेष स्वतंत्रता देता है, लेकिन सरकार की चुप्पी और सदन को लाइव प्रसारित न करने के फैसले के चलते प्रदर्शन जैसे लोकतांत्रिक तरीके को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है. बता दें कि विधानसभा सत्र से पहले परिसन में विरोध- प्रदर्शन पर रोक के साथ-साथ बैठने की व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है. इस बार 10 बैठकें होगी और कई बिल पर चर्चा हो सकती है.