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झारखंड वालों को बिजली का जोर का झटका लगना तय, जानें कितना पड़ेगा राज्‍यवालों की जेब पर असर

झारखंड के बिजली उपभोक्ताओं के लिए आने वाले दिन भारी साबित हो सकते हैं. झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने बिल बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जिसे लेकर आम लोगों में चिंता बढ़ गई है. अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो घरेलू उपभोक्ताओं से लेकर छोटे कारोबारियों और उद्योगों तक सभी की बिजली का बिल अचानक बढ़ सकता है, जिससे हर महीने का घरेलू बजट बिगड़ना तय माना जा रहा है.

झारखंड वालों को बिजली का जोर का झटका लगना तय, जानें कितना पड़ेगा राज्‍यवालों की जेब पर असर
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( Image Source:  AI SORA )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 13 Dec 2025 4:22 PM IST

झारखंड के लोगों के लिए आने वाले समय में बिजली का बड़ा झटका तैयार है. राज्य सरकार ने बिजली की कीमतों में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है, जिससे आम घरों और व्यवसायों पर सीधा असर पड़ेगा. बढ़े हुए बिजली बिल से लोगों की जेब पर दबाव बढ़ने वाला है, इसलिए सभी को इसके लिए तैयार रहना होगा.

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बिजली के बिल बढ़ाने पर निगम का कहना है कि यह कदम मजबूरी में उठाया जा रहा है, ताकि सालों से चले आ रहे राजस्व घाटे को खत्म किया जा सके. चलिए जानते हैं कितना प्रतिशत बढ़ जाएगा बिजली का बिल.

कितना बढ़ेगा बिजली का बिल?

जेबीवीएनएल के अनुसार, साल 2023-24 तक निगम पर लगभग 4,991.67 करोड़ रुपये का घाटा जमा हो गया है. वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार, साल 2025-26 में निगम को कुल 15,584.46 करोड़ रुपये की जरूरत होगी, लेकिन वर्तमान बिजली दरों पर इसे केवल 9,794.76 करोड़ रुपये ही मिल पाएंगे. इस भारी अंतर को पूरा करने के लिए निगम ने बिजली के दाम में 59 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी बना वजह

निगम ने अपने टैरिफ प्रस्ताव में अगस्त 2025 में आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ज़िक्र किया है. इस आदेश के अनुसार, बिजली कंपनियों को अगले तीन साल में अपने घाटे को पूरा करना जरूरी है. जेबीवीएनएल का कहना है कि अगर यह कदम समय पर नहीं उठाया गया, तो निगम की आर्थिक स्थिति और कमजोर हो सकती है.

दूसरे राज्यों से कैसे अलग है झारखंड का टैरिफ?

टैरिफ पिटीशन में यह भी बताया गया है कि अलग-अलग राज्यों में घरेलू बिजली दरें अलग-अलग हैं. झारखंड में 200 यूनिट से ज्यादा बिजली खपत करने पर उच्च दर लगती है, लेकिन 201 से 400 यूनिट तक सरकार सब्सिडी देती है. तुलना करें तो राजस्थान और बिहार में बिजली की कीमतें झारखंड से ज्यादा हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में लगभग समान हैं. फिक्स्ड चार्ज की बात करें तो झारखंड थोड़ा अलग है. जहां ज्यादातर राज्यों में यह प्रति किलोवाट के हिसाब से लिया जाता है, वहीं झारखंड में यह प्रति कनेक्शन वसूला जाता है.

पिछले पांच सालों में कितनी बढ़ी बिजली दर?

जेबीवीएनएल के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में तीन बार बिजली महंगी की गई है.

  • 2021-22 में 6.50% बढ़ोतरी
  • 2022-23 में कोई बढ़ोतरी नहीं
  • 2023-24 में 7.66% बढ़ोतरी
  • 2024-25 में कोई बदलाव नहीं
  • 2025-26 में 6.34% की बढ़ोतरी

प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं के लिए क्या नियम हैं?

प्रीपेड मीटर वाले उपभोक्ताओं की बिजली, बैलेंस खत्म होते ही अपने आप बंद हो जाती है और बैलेंस रिचार्ज करते ही फिर चालू हो जाती है. लेकिन अगर किसी तकनीकी वजह से रिचार्ज करने के बाद भी बिजली चालू नहीं होती, तो उपभोक्ता अपने नज़दीकी कार्यालय में शिकायत दर्ज करा सकते हैं. शिकायत मिलने के बाद वहां जांच करके समस्या का समाधान किया जाएगा.

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