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'बिना इजाजत नहीं कर सकते इंटरनेट बंद', झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार, मांगा जवाब

Jharkhand High Court On Internet shutdown: सुनवाई के दौरान अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने तर्क दिया कि JSSC (CGL) परीक्षा के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने के सरकार के फैसले ने सार्वजनिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. नेट बैंकिंग और UPI भुगतान पर बढ़ती निर्भरता के साथ, लोगों को इंटरनेट आउटेज के कारण लेन-देन और दैनिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण व्यवधानों का सामना करना पड़ा.

बिना इजाजत नहीं कर सकते इंटरनेट बंद, झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार, मांगा जवाब
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Jharkhand High Court On Internet shutdown
सचिन सिंह
By: सचिन सिंह

Updated on: 22 Sept 2024 9:04 PM IST

Jharkhand High Court On Internet shutdown: झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को तत्काल इंटरनेट बहाल करने के आदेश जारी किए हैं. इसे साथ ही ये भी फरमान जारी किया है कि आगे से बिना हाई कोर्ट के इजाजत लिए बिना इंटरनेट बंद नहीं की जा सकती है. इसके साथ ही कोर्ट ने 21 और 22 सितंबर को जेएसएससी सीजीएल परीक्षा आयोजित करने के लिए शनिवार को राज्य भर में पांच घंटे से अधिक समय तक इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने के अपने फैसले पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्यभर में इंटरनेट सेवा को बहाल कर दिया गया है. इंटरनेट बंद के खिलाफ एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, हाईकोर्ट के जज जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की पीठ ने सरकार से इस तरह के बंद के लिए उसकी नीति के बारे में पूछा. इसने यह भी पूछा कि क्या ऐसा निर्णय सभी परीक्षाओं के मामले में लागू होगा? अदालत ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर हलफनामे के माध्यम से इस मामले में जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया. चार सप्ताह में अगली सुनवाई होगी.

हाईकोर्ट बंद के बाद भी की सुनवाई

शनिवार को हाईकोर्ट बंद रहने के बावजूद इस मामले के लिए एक विशेष पीठ का गठन किया गया. सरकार का यह फैसला पेपर लीक के लगातार मामलों के बाद आया है. गृह विभाग ने सुबह 8 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने कहा कि इंटरनेट बंद होने से कई नौकरियां प्रभावित हो रही हैं, जिसका सीधा असर लोगों पर पड़ रहा है.

सरकार ने रखा अपना पक्ष

सरकार ने अपने फ़ैसले का बचाव करते हुए कहा कि इंटरनेट सेवा पर रोक परीक्षा में गड़बड़ी रोकने के लिए लगाई गई थी और राज्य को इस तरह की कार्रवाई करने का अधिकार है. कोर्ट ने सरकार को इस मामले में औपचारिक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

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