वर्ल्ड फुटबॉल चैंपियनशिप में झारखंड की बेटियों का जलवा, भारत की U-17 टीम में सेलेक्शन, यहां होगा इवेंट
भारत की लड़कियां किसी से कम नहीं है. यह बात एक बार फिर से साबित हो गई है. वर्ल्ड फुटबॉल चैंपियनशिप के लिए भारत की U-17 टीम में झारखंड की 7 लड़कियों ने अपनी जगह बनाई.

20 से 31 अगस्त तक भूटान में होने वाली अंडर-17 महिला फुटबॉल वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम की घोषणा हो चुकी है. इस टीम में झारखंड की 7 होनहार लड़कियां भी शामिल हैं, जिनका सफर कठिनाइयों से शुरू होकर अब देश के लिए खेलने तक पहुंचा है.
अब सबकी निगाहें 20 अगस्त पर टिकी हैं, जब ये खिलाड़ी भारत को रिप्रजेंट करेंगी. खेल प्रेमियों को पूरा भरोसा है कि ये बेटियां न सिर्फ अच्छा खेलेंगी, बल्कि पूरी टीम का हौसला भी बढ़ाएंगी. इनका मजबूत डिफेंस, तेज़ दौड़ और फुर्तीले पास आने वाले समय में देश को गर्व महसूस कराएंगे. चलिए जानते हैं कौन हैं वो बेटियां, जो करेंगी भारत का नाम रोशन.
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कौन-कौन हुआ सेलेक्ट?
गुमला जिले की मिट्टी से निकलकर सूरज मुनि, एलिजाबेथ लाकड़ा, अनीता, विनीता और शिवानी ने कभी धूल भरे मैदानों पर फुटबॉल खेलना शुरू किया था. आज ये सभी देश की अंडर-17 टीम का हिस्सा बनकर इतिहास रच रही हैं. वहीं रांची के ओरमांझी की दिव्यानी लिंडा और हजारीबाग की अनुष्का कुमारी भी अब भारत का तिरंगा विदेश में गर्व से लहराने जा रही हैं. इन सात होनहार बेटियों के टीम में चुने जाने से उनके परिवारों, गांवों और जिलों में खुशी का माहौल है. लोग गर्व से कह रहे हैं 'ये हमारी बेटियां हैं.'
संघर्ष, मेहनत और अनुशासन की जीत
भारतीय टीम के कोच अनवारूल हक ने इन खिलाड़ियों के चयन पर कहा कि झारखंड की ये सातों बेटियां बहुत मेहनती और अनुशासन में रहने वाली हैं. उनका चुनाव सिर्फ उनके खेल के हुनर की वजह से नहीं, बल्कि उनके मेहनत और लगन की वजह से हुआ है. इन बेटियों ने कठिन अभ्यास, कम सुविधाओं और अपनी निजी परेशानियों के बावजूद वह मुकाम हासिल किया है, जहां से अब उनका सपना शुरू होता है देश के लिए खेलने का सपना.
गुमला से हजारीबाग तक खुशी की लहर
जैसे ही ये खबर फैली, झारखंड के कई जिलों में खुशी की लहर दौड़ गई. गुमला, रांची और हजारीबाग में खेल प्रेमियों ने मिठाइयां बांटीं, गांवों में ढोल-नगाड़े बजने लगे और हर जगह बस एक ही बात हो रही थी, हमारी बेटियां अब सिर्फ झारखंड की नहीं, पूरे देश की शान बन गई हैं. स्थानीय कोच, टीचर और परिवार वालों की आंखों में गर्व के साथ-साथ उम्मीद की चमक भी दिखाई दी.
ये सिर्फ चयन नहीं, एक नई शुरुआत है
इन बेटियों की ये उपलब्धि सिर्फ व्यक्तिगत जीत नहीं है, यह झारखंड के गांवों से निकल रही नई खेल क्रांति का संकेत है. यह बताता है कि अगर प्रतिभा को सही दिशा और अवसर मिले, तो कोई भी बेटा या बेटी देश का गौरव बन सकता है. अब देश कह रहा है कि 'खेलो बेटियों, हम तुम्हारे साथ हैं.'