वरुणिका कुंडू केस का असर? विकास बराला AAG पद से बर्खास्त, सोशल मीडिया पर विरोध के बाद हरियाणा सरकार का एक्शन
राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे विकास बराला को हरियाणा सरकार ने एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) पद से हटा दिया है. यह फैसला तब आया जब 2017 के चर्चित वरुणिका कुंडू पीछा मामले को लेकर विकास की नियुक्ति पर सोशल मीडिया पर भारी विरोध और अफसरशाही में असंतोष देखने को मिला. IAS अफसर वरुणिका के साथ पीछा करने के आरोप में विकास बराला जेल जा चुके हैं. सरकार ने विवाद को बढ़ता देख यह कदम उठाया है.

Vikas Barala Haryana AAG Removal: राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे विकास बराला को हरियाणा सरकार ने सहायक एडवोकेट जनरल (AAG) के पद से हटा दिया है. सरकार ने यह फैसला उस नियुक्ति के महज 10 दिन बाद लिया है, जब विकास बराला को हरियाणा सरकार की तरफ से यह अहम कानूनी जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
दरअसल, विकास बराला वर्ष 2017 के चर्चित वरिणिका कुंडू पीछा और उत्पीड़न मामले के आरोपी रह चुके हैं. उस समय यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया था, जब आईएएस अधिकारी की बेटी ने विकास पर रात में पीछा करने और कार रोकने का आरोप लगाया था. उनकी नियुक्ति के खिलाफ ना सिर्फ सोशल मीडिया पर विरोध हुआ, बल्कि कई रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स और कानूनी हलकों ने भी सवाल उठाए.
पूर्व आईएएस अधिकारियों ने नियुक्ति को बताया अनुचित
45 से अधिक पूर्व आईएएस अधिकारियों ने इस नियुक्ति को अनुचित बताते हुए सीएम सैनी को चिट्ठी लिखकर इसे तुरंत निरस्त करने की मांग की थी. विवाद बढ़ता देख हरियाणा सरकार ने दबाव में आकर विकास बराला का नाम सहायक एडवोकेट जनरल की सूची से हटा दिया है. यह फैसला सरकार की जवाबदेही और नैतिकता पर उठे सवालों के बीच लिया गया है.
विकास बराला को AAG पद से हटाने की इनसाइड स्टोरी
विकास बराला साल 2017 में सुर्खियों में तब आए थे, जब उन पर IAS अफसर वरुणा कुंडू (अब वरुणिका कुंडू) का पीछा करने और उन्हें डराने-धमकाने का गंभीर आरोप लगा था. यह मामला उस समय राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया था, क्योंकि इसमें महिला की सुरक्षा, वीआईपी संस्कृति और कानून के दुरुपयोग जैसे कई मुद्दे उठे थे. इस केस में विकास बराला को गिरफ्तार भी किया गया था और लंबे समय तक यह केस कोर्ट में चला.
हाल ही में हरियाणा सरकार ने उन्हें एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) नियुक्त किया, जो राज्य सरकार के लिए एक कानूनी सलाहकार का पद होता है. हालांकि जैसे ही उनकी नियुक्ति की खबर बाहर आई, सोशल मीडिया पर जबरदस्त विरोध शुरू हो गया. कई लोगों ने सवाल उठाया कि एक पीछा करने के आरोपी को इतनी अहम कानूनी जिम्मेदारी कैसे दी जा सकती है? महिला अधिकार संगठनों और आम जनता के दबाव के चलते हरियाणा सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और अंततः उन्हें इस पद से हटा दिया गया.