चंडीगढ़ पर अधिकार को लेकर दोनों राज्यों में फिर छिड़ी रार, पंजाब से क्यों 107 गांव मांग रहा हरियाणा?
हरियाणा विधान भवन के लिए चंडीगढ़ में नया भवन बनाने को जमीन आवंटन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. हरियाणा को राजधानी में जमीन देने के विरोध में पंजाब के मुख्यमंत्री, मंत्रियों और सांसद-विधायकों तथा राजनेताओं की आपत्तियों का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा ने दबाव बनाया है.

हरियाणा विधान भवन के लिए चंडीगढ़ में नया भवन बनाने को जमीन आवंटन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. हरियाणा को राजधानी में जमीन देने के विरोध में पंजाब के मुख्यमंत्री, मंत्रियों और सांसद-विधायकों तथा राजनेताओं की आपत्तियों का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा ने दबाव बनाया कि विधानसभा में निंदा प्रस्ताव लाया जाए. जिसमें पंजाब सरकार ने चंडीगढ़ में नए विधानसभा परिसर के निर्माण के फैसले का विरोध किया है. यह मामला हरियाणा विधानसभा में गंभीरता से उठाया गया और इस पर गहन विचार-विमर्श हुआ.
मुख्यमंत्री ने इस विषय पर सभी राजनीतिक दलों से एकजुट होकर इसका समर्थन करने की अपील की. उनका कहना था कि चंडीगढ़ में नई विधानसभा का निर्माण हरियाणा के अधिकारों से जुड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा है, और इसे लेकर सभी दलों को अपने राजनीतिक मतभेदों को दरकिनार करके एक साथ खड़ा होना चाहिए. पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने भी इस मामले में अपनी राय दी. उनका कहना था कि हरियाणा को चंडीगढ़ पर अपना दावा नहीं छोड़ना चाहिए. उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार को दृढ़ रुख अपनाने की सलाह दी.
चंडीगढ़ पर पंजाब और हरियाणा का बराबर हक
पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने अपने बयान में सरकार से चंडीगढ़ पर अपने अधिकार से पीछे न हटने की अपील की है. उनका कहना है कि जहां पर भूमि का आवंटन हुआ है, वहीं पर नई विधानसभा का निर्माण होना चाहिए, और इस पर हरियाणा का अधिकार सुनिश्चित होना चाहिए. उन्होंने यह भी जोर दिया कि सरकार को पंजाब के साथ पानी के बंटवारे और हिंदी भाषी गांवों पर अधिकार के मसले को भी प्रमुखता से उठाना चाहिए.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक अरोड़ा ने भी इस मामले पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पर हरियाणा का उतना ही अधिकार है जितना पंजाब का. अरोड़ा ने यह भी स्पष्ट किया कि चंडीगढ़ दोनों राज्यों की समान राजधानी है, और यह स्थिति तब तक बनी रहेगी जब तक पंजाब, हरियाणा को अबोहर और फाजिल्का के 107 हिंदी भाषी गांव नहीं सौंप देता.