कर्ज में डूबा कारोबार, देहरादून में पलायन और पंचकुला में मौत; रिश्तेदार ने बताई मित्तल परिवार की बर्बादी की कहानी
हरियाणा के पंचकूला शहर में देर रात एक घटना ने लोगों की रातों की नींद उड़ा दी. दरअसल यहां एक गाड़ी में एक ही परिवार के 7 लोगों की लाशें मिली. सभी ने जहर खाया था. परिवार ने यह कदम कर्ज में डूबने के कारण उठाया.

हरियाणा के पंचकूला शहर के सेक्टर-27 में सोमवार रात एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. कर्ज के बोझ तले दबे एक ही परिवार के सात लोगों ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. मरने वालों में दो दंपती, तीन मासूम बच्चे और एक ही परिवार के बुजुर्ग सदस्य शामिल हैं. कार के भीतर पसरा सन्नाटा, बाहर पुलिस और पड़ोसियों के बीच छाई चीख-पुकार, हर कोई इस त्रासदी को समझने की कोशिश कर रहा था.
मृतकों में प्रवीण मित्तल, उनकी पत्नी रीना, माता-पिता और तीन बच्चे (दो बेटियां और एक बेटा) थे. कभी हिसार के बरवाला से आए इस परिवार ने बेहतर जीवन की उम्मीद में पंचकूला में कदम रखा था. प्रवीण ने हिमाचल के बद्दी में स्क्रैप फैक्ट्री शुरू की, लेकिन कारोबार में घाटा और बढ़ते कर्ज ने जैसे उनकी हर उम्मीद को निगल लिया. बैंक ने फैक्ट्री जब्त कर ली. परिवार देहरादून चला गया. वहां भी टूर एंड ट्रैवल्स का व्यापार शुरू किया, पर किस्मत ने साथ नहीं दिया. इसके चलते 20 करोड़ का कर्ज हो गया, जिसके चलते उन्होंने यह कदम उठाया. अब इस मामले में प्रवीण के मामा के बेटे संदीप अग्रवाल ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.
आखिरी कोशिशें, अधूरी उम्मीदें
आर्थिक तंगी ने परिवार को मोहाली, फिर पंचकूला के एक किराए के मकान तक पहुंचा दिया. गुजारा चलाने के लिए प्रवीण ने टैक्सी चलाना शुरू किया, लेकिन 15-20 करोड़ के कर्ज का बोझ और लगातार मिल रही धमकियों ने पूरे परिवार को तोड़ दिया. कार में मिला सुसाइड नोट उनकी बेबसी की गवाही देता है.
सुसाइड नोट में बयां किया दर्द
पुलिस को मिले सुसाइड नोट में प्रवीण ने लिखा ' मैं बैंक से दिवालिया हो चुका हूं . मेरी वजह से ये सब हुआ. मेरे ससुर को कुछ मत कहना. मैं नहीं चाहता कि मेरे बाद मेरे बच्चों को परेशान किया जाए.' साथ ही, इस नोट में मृतक ने अपने ममेरे भाई संदीप अग्रवाल से अंतिम संस्कार करने को कहा है.
संदीप अग्रवाल ने बताई ये बात
प्रवीण के मामा के बेटे संदीप अग्रवाल ने बताया कि यह परिवार मूल रूप से हिसार के बरवाला का रहने वाला था. करीब 12 साल पहले वे पंचकूला शिफ्ट हुए थे. लेकिन कर्ज और संकट से घबरा कर, कुछ साल पहले सब कुछ छोड़ कर देहरादून चले गए. वहां 5 साल तक किसी से संपर्क नहीं रखा.