पिता की नौकरी के चलते छूटा गांव, अब नहीं रहता परिवार से कोई; रेखा गुप्ता के बारे में क्या कह रहे गांव वाले?
रेखा गुप्ता जींद जिले के नंदगढ़ गांव से दिल्ली की राजनीति में उभरीं और अब दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं. भाजपा के टिकट पर शालीमार बाग से विधायक बनने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद मिला. उनका परिवार वर्षों पहले दिल्ली शिफ्ट हो गया था, लेकिन गांव में अब भी जश्न का माहौल है.

जींद जिले के छोटे से गांव नंदगढ़ की बेटी रेखा गुप्ता ने इतिहास रच दिया है. भाजपा के टिकट पर दिल्ली के शालीमार बाग विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज करने वाली रेखा गुप्ता ने सीएम पद की शपथ ले ली है. जैसे ही भाजपा विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुना गया, उनके गांव नंदगढ़, जुलाना मंडी और जींद में उनके परिवार के बीच खुशी की लहर दौड़ गई. पूरे गांव में जश्न का माहौल है. लोग गर्व महसूस कर रहे हैं कि उनकी बेटी ने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की है.
रेखा गुप्ता के परिवार का राजनीति से कोई सीधा नाता नहीं रहा. जुलाना मंडी में आढ़त की दुकान चलाने वाले उनके चाचा रमेश जिंदल बताते हैं कि जब रेखा दो साल की थीं, तब उनके पिता मनीराम की नौकरी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में लग गई थी. नौकरी के कारण उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया. और वहीं पर रेखा की शिक्षा और राजनीतिक सफर शुरू हुआ. दिल्ली में ही उन्होंने एबीवीपी के माध्यम से राजनीति में कदम रखा और धीरे-धीरे विधायक से मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया.
परिवार ने बनवाया था शिव मंदिर
नंदगढ़ गांव के रहने वाले बलवान नंबरदार बताते हैं कि लगभग 50 साल पहले तक रेखा गुप्ता के दादा मनीराम जिंदल और परदादा गंगाराम गांव में ही रहते थे. गांव के ही नवीन का कहना है कि जिंदल परिवार ने गांव में एक शिव मंदिर भी बनवाया है, जहां हर साल परिवार के सदस्य पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. रेखा के पिता जयभगवान के चाचा राजेंद्र तो अब भी हर महीने गांव का दौरा करते हैं.
बिक चुका है पैतृक मकान
वहीं, नंदगढ़ गांव के पूर्व सरपंच हरिओम ने बताया कि भले ही रेखा गुप्ता का परिवार करीब 49 साल पहले गांव छोड़कर दिल्ली चला गया था, लेकिन उनका अपने गांव से अब भी गहरा जुड़ाव है. हालांकि, उनके पैतृक मकान को गांव के ही चांदीराम ने खरीद लिया था, इसलिए गांव में अब उनका कोई परिवारिक सदस्य नहीं रहता. इसके बावजूद, गांववालों के लिए यह गर्व का क्षण है कि गांव की बेटी दिल्ली की मुख्यमंत्री बनी है.
जींद से कोई नहीं बन पाया सीएम
जींद जिले के लिए यह ऐतिहासिक पल इसलिए भी है क्योंकि यहां से पहली बार कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री बना है. हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने की कई बार कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. अब पहली बार जींद की बेटी ने दिल्ली की सत्ता की कमान संभालकर इतिहास बना दिया है. इस खबर से पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है.
सीएम की घोषणा होते ही हुआ जश्न
जैसे ही बुधवार शाम को रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने की घोषणा हुई, जुलाना की अनाज मंडी में जश्न का माहौल बन गया. उनके चाचा रमेश जिंदल की दुकान पर भाजपा कार्यकर्ता और स्थानीय लोग एकत्र हुए. वहां लड्डू बांटे गए, पटाखे फोड़े गए और भाजपा के झंडे लहराकर खुशी मनाई गई. रमेश जिंदल ने गर्व से बताया कि रेखा बचपन से ही राजनीति में रुचि रखती थीं.
व्यक्ति नहीं पार्टी है महत्वपूर्ण: बीजेपी जिलाध्यक्ष
जींद के बीजेपी जिलाध्यक्ष एडवोकेट तिजेंद्र ढुल ने कहा कि भाजपा की असली ताकत यही है कि यहां व्यक्ति नहीं, पार्टी महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि साधारण कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर बताता है कि भाजपा में हर कार्यकर्ता को अपनी मेहनत और समर्पण से कोई भी जिम्मेदारी मिल सकती है.