अलर्ट मोड पर हरियाणा पुलिस, कल 11 जिलों में होगा सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आयोजन, देखिए पूरी डिटेल
Haryana Mock Drill: बुधवार को हरियाणा के 11 जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल होने वाली है. रात के समय सायरन बजेंगे, ब्लैकआउट होगा और NCC-NSS के साथ स्थानीय नागरिक शामिल होंगे. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से पुलिस और अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया है. देश के 244 जिलों में मॉक ड्रिल होने वाली है.
Haryana Mock Drill: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है. दोनों देशों के एक-दूसरे के खिलाफ कई बड़े एक्शन लिए हैं. हालात ऐसे हैं कि कभी भी युद्ध छिड़ सकता है. इस बीच केंद्र सरकार ने नागरिकों को हवाई हमले के दौरा कैसे खुद को सुरक्षित रखना है? इसकी ट्रेनिंग देने का फैसला किया है. इसी दिशा में बुधवार 7 मई को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा.
देश के 244 राज्यों में मॉक ड्रिल का सायरन बजेगा, जिनमें हरियाणा के कई राज्य शामिल हैं. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से पुलिस और अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया है. राज्य के 11 जिलों में 7 मई 2025 को मॉक ड्रिल होगी.
क्या होगा मॉक ड्रिल में?
हरियाणा के 11 जिलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल होगी. रात के समय सायरन बजेंगे, ब्लैकआउट होगा और NCC-NSS के साथ स्थानीय नागरिक शामिल होंगे. बता दें कि साल 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पहली बार देश में ऐसी सिविल ड्रिल हो रही है. इसका मकसद युद्ध या इमरजेंसी में नागरिकों को तैयार करना है.
क्या है तैयारी?
राज्य के 11 जिलों में मॉक ड्रिल को लेकर प्रशासन ने कड़ी तैयारी की है. केंद्र सरकार ने 244 जिलों को दो भागों में विभाजित किया गया है. दूसरी कैटेगरी के 10 जिले शामिल हैं, जैसे- गुरुग्राम, हिसार, पंचकूला, अंबाला, फरीदाबाद, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत और यमुनानगर शामिल है.
तीसरी कैटेगरी में झज्जर को शामिल किया गया है. ये जिले राष्ट्रीय सुरक्षा और आपात स्थिति में प्रबंधन की दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकते हैं. बता दें कि मॉक ड्रिल के बाद जिला प्रशासन सरकार के पास रिपोर्ट जमा करेगा.
जानें मॉक ड्रिल के बारे में
- मॉक ड्रिल में एक रिहर्सल होती है, जिसमें आपदा या इमरजेंसी की स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया देनी है, इसका नकली अभ्यास किया जाता है.
- मॉक ड्रिल भूकंप, आग और आतंकी हमला आपदाओं से निपटने की ट्रेनिंग दी जाती है.
- मॉक ड्रिल्स के ज़रिए आम लोगों, स्टाफ, या छात्रों को सिखाया जाता है कि इमरजेंसी में क्या करना है.
- इससे पता चलता है कि किसी संकट की स्थिति में लोग कितनी जल्दी और सही तरीके से रिएक्ट कर सकते हैं.
- ड्रिल से घबराहट या अफरा-तफरी की स्थिति को संभालने की ट्रेनिंग मिलती है.
- मॉक ड्रिल में फर्स्ट ऐड देने, घायल को निकालने आदि की भी ट्रेनिंग होती है.
- ड्रिल के बाद एक रिपोर्ट बनाई जाती है कि क्या ठीक था, और क्या सुधार की जरूरत है.





