हरियाणा में घर खरीदना होगा महंगा, 1 अगस्त से सैनी सरकार कर रही नए सर्किल रेट लागू, जानें आम जनता पर क्या होगा असर
सैनी सरकार ने फैसला लिया है कि 1 अगस्त 2025 से संपत्ति पंजीकरण के लिए सर्किल रेटमें संशोधन लागू किया जाएगा. पिछले 8 महीने के अंदर दूसरी बार सर्किल रेट में संशोधन किया है. इससे पहले दिसंबर 2024 में बदलाव किया गया था. जिन्होंने पुरानी डेट्स पर अपॉइंटमेंट बुक कर रखी है, उन्हें नए रेट के हिसाब से रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं होगी.

Haryana News: हरियाणा में घर खरीदना महंगा होने वाला है. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी अब एक नई नीति लागू करने वाले हैं. सैनी सरकार ने फैसला लिया है कि 1 अगस्त 2025 से संपत्ति पंजीकरण के लिए सर्किल रेटमें संशोधन लागू किया जाएगा. इसके तहत शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में 5% से 25% तक की बढ़ोतरी की जाएगी.
सरकार के इस फैसले का आम जनता पर असर देखने को मिलेगा. इससे रियल एस्टेट की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है. वहीं कुछ का मानना है कि इससे बाजार में लेनदेन पर असर पड़ सकता है. नए सर्किल रेट का असर सबसे ज्यादा फरीदाबाद, गुरुग्राम, बल्लभगढ़ जैसे क्षेत्रों में पड़ने वाला है.
दूसरी बार किया बदलाव
हरियाणा सरकार ने पिछले 8 महीने के अंदर दूसरी बार सर्किल रेट में संशोधन किया है. इससे पहले दिसंबर 2024 में बदलाव किया गया था. यह अप्रैल 1 को होता है परंतु चुनावों की आचार संहिता के चलते उस वर्ष यह बदलाव स्थगित कर दिया गया था. सरकार ब्लैक मनी पर लेकर प्रॉपर्टी डील पर रोक लगाना चाहती है.
क्या है नया सर्कल रेट?
सीएम सैनी ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. अब शुक्रवार 1 अगस्त से नए सर्किल रेट लागू हो जाएंगे. हालांकि ये अलग-अलग जिलों और इलाकों की बाजार स्थिति के हिसाब से होंगे. जिन्होंने पुरानी डेट्स पर अपॉइंटमेंट बुक कर रखी है, उन्हें नए रेट के हिसाब से रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं होगी.
क्या होगा असर?
अपना घर खरीदना हर किसी का सपना होता है, लेकिन सर्किल रेट दोबारा से बढ़ाने से इस पर असर पड़ सकता है. आम आदमी को ज्यादा सेविंग करके पाई-पाई घर खरीदने के लिए जना करनी होगी. बता दें कि हरियाणा की वित्त आयुक्त सुमिता मिश्रा सुमिता मिश्रा ने पहले इस बदलाव की जानकारी दी थी. 30 जुलाई को इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई.
जानें सर्किल रेट के बारे में
सर्किल रेट जिसे सरकारी भाषा में कलेक्टर दर भी कहा जाता है. वह न्यूनतम निर्धारित दर है जिस पर किसी क्षेत्र में संपत्ति (जैसे प्लॉट, मकान, या कमर्शियल प्रॉपर्टी) की बिक्री व पंजीकरण सरकारी रूप से की जा सकती है. यह सरकार तय करती है. समय-समय पर संपत्ति के बाजार मूल्य, क्षेत्र की बुनियादी सुविधाएं और आर्थिक मांग के आधार पर अपडेट होती रहती है.