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फरीदाबाद की धरती पर बवाल- तोड़फोड़ के विरोध में एकजुट हुए NCR के गुर्जर और किसान संगठन, Video

फरीदाबाद के अनंगपुर गांव में वन विभाग कार्रवाई चल रही है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि अरावली क्षेत्र में अवैध निर्माण को हटाया जाए, लेकिन ग्रामीण इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह वन कानून बाद में आया है. वह लोग यहां पर सदियों से रह रहे हैं.

फरीदाबाद की धरती पर बवाल- तोड़फोड़ के विरोध में एकजुट हुए NCR के गुर्जर और किसान संगठन, Video
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( Image Source:  x-KUMERSI09686901 )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 5 July 2025 7:49 PM IST

फरीदाबाद के अनंगपुर गांव में आज का दिन गांव के इतिहास में दर्ज हो गया. गांव की चौपाल पर बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हुए, लेकिन इस बार कोई त्योहार नहीं था, बल्कि यह एक पंचायत थी. वन विभाग द्वारा अरावली क्षेत्र में की जा रही तोड़फोड़ के खिलाफ. गांव के लोगों के साथ एनसीआर के कई गुर्जर समाज के प्रतिनिधि भी पहुंचे.

इस पंचायत को भारतीय किसान यूनियन और अन्य किसान संगठनों का समर्थन मिला है. चौपाल में गूंजती आवाज़ों ने साफ किया कि ये लड़ाई सिर्फ जमीन की नहीं, सम्मान और पीढ़ियों की विरासत की है.

वन कानून नया है

पंचायत में बोले वक्ताओं ने सवाल उठाया कि जब अनंगपुर गांव बसा था, तब ये कानून नहीं थे, फिर आज क्यों हमारे घरों को अवैध कहा जा रहा है? ग्रामीणों ने वन विभाग की कार्रवाई को अन्यायपूर्ण और अमानवीय बताया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार बुलडोजर के जरिए गांवों को खत्म करना चाहती है. ग्रामीणों का कहना है कि अनंगपुर की जमीन उनकी पुश्तैनी संपत्ति है और वे किसी भी हाल में अपने घरों को उजड़ने नहीं देंगे. उन्होंने वन विभाग की कार्रवाई को एकतरफा बताया और मांग की कि उनके अधिकारों की रक्षा की जाए.

धरना और आक्रोश

डर के माहौल में अनंगपुर के ग्रामीण धरने पर बैठे हैं, ताकि प्रशासन तक उनकी आवाज़ पहुंचे. शुक्रवार को कांग्रेस नेता विजय प्रताप और किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधि भी समर्थन देने पहुंचे. पंचायत में यह भी तय हुआ कि 6 जुलाई को एक और बड़ी पंचायत और 13 जुलाई को राष्ट्रीय पंचायत बुलाई जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और वन विभाग की कार्रवाई

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अरावली क्षेत्र में अवैध निर्माणों को हटाने की मुहिम चलाई जा रही है. पहले फेज़ में 420 ढांचे तोड़े जा चुके हैं. अब वन विभाग की कार्रवाई की रडार पर अनंगपुर गांव भी है और इसी के विरोध में गांव की ये बड़ी पंचायत बुलाई गई.

क्या पीढ़ियों से बसे गांवों को सिर्फ कागजों के आधार पर उजाड़ देना न्याय है? क्या विकास और कानून के नाम पर पारंपरिक हक छीने जा सकते हैं? और क्या सरकार व विभाग संवाद के रास्ते हल नहीं निकाल सकते?

हरियाणा न्‍यूज
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