दिल्ली चुनाव में आप-बीजेपी के सामने कौन सी है चुनौती, जानें किसका पलड़ा पड़ेगा भारी
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला है. AAP मुफ्त योजनाओं के सहारे सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है, जबकि बीजेपी मध्यम वर्ग और कल्याणकारी नीतियों पर फोकस कर रही है. चुनाव से पहले AAP के कई नेता बीजेपी में शामिल हुए, जिससे सियासी समीकरण बदल सकते हैं.

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को मतदान होने जा रहा है. इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प माना जा रहा है, क्योंकि बीजेपी और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच की लड़ाई बड़े ही शानदार मोड़ पर आ पहुंची है. बीजेपी ने इस चुनाव को बेहद गंभीरता से लिया है और अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. यह सिर्फ दिल्ली की लड़ाई नहीं, बल्कि उत्तर भारत में बीजेपी के सामने खड़ी AAP के प्रभाव को कम करने की कोशिश भी है.
AAP के मुफ्त योजनाओं की रणनीति को देखते हुए, बीजेपी ने भी यही राह अपनाई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 'रेवड़ी' कल्चर पर निशाना साधे जाने के बावजूद, बीजेपी ने दिल्ली के मतदाताओं को आश्वस्त किया कि यदि वह सत्ता में आती है तो मौजूदा योजनाओं को बंद नहीं करेगी. बीजेपी ने मध्यम वर्ग पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसे AAP सरकार गरीबों के पक्षधर के रूप में प्रस्तुत कर रही थी. इसी वजह से मोदी सरकार ने हालिया बजट में कर राहत देकर इसे 'भारत के इतिहास का सबसे मध्यम वर्ग के अनुकूल बजट' बताया.
बीजेपी ने चला दांव
दिल्ली में मध्यम वर्ग का बड़ा हिस्सा मतदान में अहम भूमिका निभा सकता है. बीजेपी को उम्मीद है कि बजट में दी गई राहत, व्यापारियों और वेतनभोगी वर्ग के लिए किए गए प्रावधान और बुनियादी ढांचे में सुधार की योजनाएं उसे फायदा पहुंचाएंगी. इसके अलावा, दिल्ली में वायु और जल प्रदूषण जैसी समस्याओं पर AAP सरकार के रिकॉर्ड को लेकर भी जनता में असंतोष है, जिससे बीजेपी को लाभ मिल सकता है. बीजेपी को भरोसा है कि 'मोदी की गारंटी' और उसके नए कल्याणकारी वादों का मिश्रण उसे चुनाव में आगे ले जाएगा.
केजरीवाल ने बांटी रेवड़ी
वहीं, AAP अपने कार्यकाल के दौरान मुफ्त बिजली-पानी, महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के दम पर सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है. पार्टी ने महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये देने जैसी कई गारंटी की घोषणा की है. वहीं, बीजेपी और कांग्रेस ने भी महिलाओं को 2500 रुपये देने सहित बुजुर्गों, युवाओं और अन्य वर्गों के लिए कई वादे किए हैं. चुनाव से ठीक पहले, AAP के कई विधायकों और पार्षदों के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, जिससे बीजेपी को उम्मीद जगी है कि वह इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है.