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केजरीवाल की 5 बड़ी गलतियां, जिसने दिल्ली में 'आप' को सत्ता से किया बेदखल, प्रशांत किशोर का बड़ा दावा

Arvind kejriwal loses Delhi: प्रशांत किशोर ने दिल्ली में आप की करारी हार का विश्लेषण किया है. उन्होंने आप चीफ अरविंद केजरीवाल की कई गलतियों के बारे में भी जिक्र किया, जो उनकी हार का कारण बनी.

केजरीवाल की 5 बड़ी गलतियां, जिसने दिल्ली में आप को सत्ता से किया बेदखल, प्रशांत किशोर का बड़ा दावा
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Arvind kejriwal loses Delhi
सचिन सिंह
Edited By: सचिन सिंह

Published on: 10 Feb 2025 7:26 AM

Arvind kejriwal loses Delhi: जन सुराज पार्टी के प्रमुख और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की करारी हार पर बात की है और बताया कि आखिर केजरीवाल और उनकी पार्टी ने कौन कौन सी गलती की, जिसके खामियाजा उन्हें चुकाना पड़ा.

केजरीवाल की 5 गलतियां जिसने हराया चुनाव-

1. सत्ता विरोधी लहर

इंडिया टुडे से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, 'दिल्ली में आप की बड़ी हार का पहला कारण 10 साल की सत्ता विरोधी लहर थी.'

2. जमानत के बाद इस्तीफा देना

PK ने कहा, 'दूसरा और शायद आप की बड़ी गलती अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा था. शराब नीति मामले में गिरफ्तार होने के बाद उन्हें पद छोड़ देना चाहिए था. हालांकि, जमानत मिलने के बाद इस्तीफा देना और चुनाव से पहले किसी और को मुख्यमंत्री बनाना एक बड़ी रणनीतिक गलती साबित हुई.'

3. INDIA गठबंधन में शामिल होना और फिर छोड़ना

उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में केजरीवाल के बदलते राजनीतिक रुख - जैसे कि इंडिया ब्लॉक में शामिल होने का उनका फैसला, लेकिन दिल्ली चुनाव अकेले लड़ने का फैसला - ने 'आप' के खराब प्रदर्शन में योगदान दिया.

4. झुग्गियों में रहने वालों को नजरअंदाज करना

PK ने बताया कि दिल्ली के लोगों विशेषकर झुग्गियों में रहने वाले को झेलनी पड़ रही कठिनाइयों ने प्रशासन की खामियों को उजागर किया है और केजरीवाल के शासन मॉडल को काफी कमजोर किया है, जो उनके हार का कारण बना.

5. कमजोर शासन व्यवस्था

जन सुराज प्रमुख ने शासन की विफलताओं विशेषकर पिछले मानसून के दौरान निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के सामने आई समस्याओं को आप की चुनावी हार के पीछे एक अन्य महत्वपूर्ण कारक बताया. ये लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए भी संघर्ष कर रहे थे.

अरविंद केजरीवाल को आगे क्या करना चाहिए?

प्रशांत किशोर ने कहा, 'स्थिति के दो पहलू हैं. हालांकि आप के लिए दिल्ली में राजनीतिक प्रभुत्व हासिल करना बेहद मुश्किल होगा, लेकिन केजरीवाल अब शासन संबंधी जिम्मेदारियों से मुक्त हैं. वह इस समय का लाभ गुजरात जैसे अन्य राज्यों में पार्टी की उपस्थिति को मजबूत करने के लिए उठा सकते हैं, जहां आप ने पिछले चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था.'

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