मनीषा-मुन्तेहा के लिए आसान नहीं थी JNU की राह, एक शादी से इनकार कर पहुंची; दूसरी दिल्ली आने वाली घर की पहली लड़की
JNUSU Elections Result 2025: रविवार को जेएनयू छात्र संघ चुनाव के नतीजों का एलान किया गया. इसमें मनीषा DSF की वाइस-प्रेसिडेंट और मुन्तेहा जेनरल सेक्रेटरी चुनी गई हैं. दोनों ने कड़ी मेहनत के बाद इस यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया और अब परिसर के विकास के लिए अपनी जिम्मेदारी को निभाने वाली हैं. मनीषा हरियाणा के मजदूर वर्ग के दलित परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता एक फैक्ट्री में मजदूरी करते थे.

JNUSU Elections Result 2025: जवाहर नेहरू यूनिवर्सिटी यानी JNU में छात्रा संघ के चुनाव पूरे हो चुके हैं. रविवार देर रात नतीजों की घोषणा की गई, जिसमें ऑल इंडिया ,स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फ्रंट (DSF) के वामपंथी गठबंधन ने चार में से तीन पद अपने नाम किए हैं. हालांकि ABVP को सिर्फ एक पद मिला है. जीतने वालों की लिस्ट में मनीषा और मुन्तेहा का नाम भी शामिल हैं.
जानकारी के अनुसार, AISA के नीतीश कुमार प्रेसिडेंट बने हैं. मनीषा DSF की वाइस-प्रेसिडेंट और मुन्तेहा जेनरल सेक्रेटरी चुनी गई हैं. वहीं ABVP के वैभव मीना को ज्वॉइंट सेक्रेटरी चुना गया. वहीं सबसे ज्यादा चर्चा में मनीषा और मुन्तेहा की हो रही है. इतने उम्मीदवारों के बीच उन्होंने अपनी अलग ही पहचान बनाई है.
कौन हैं मुन्तेहा फातिमा?
मुन्तेहा फातिमा (28) DSF की जेनरल सेक्रेटरी पद पर चुनी गई हैं. वो शादी से मना करके जेएनयू आई और अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाया. हमेशा से आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा और सामाजिक दबाव भी झेलना पड़ा. वह बिहार के सब्जीबाग की रहने वाली हैं. वहां से ग्रेजुएशन करके दिल्ली अपनी आगे की पढ़ाई के लिए पहुंची है.
मुन्तेहा पर परिवार का भरण-पोषण और अपने भविष्य को अच्छा बनाने की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि मेरा वजीफा हर साल मेरे परिवार का भरण-पोषण एकमात्र जरिया है. अब मैं अपने परिवार की जिम्मेदारी और इस परिसर की जिम्मेदारी उठाती हूं.
जानें मनीषा के बारे में
पीएचडी छात्रा मनीषा (27) DSF की वाइस-प्रेसिडेंट पद के लिए चुनी गई हैं. उसने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मैं अपने परिवार की पहली लड़की हूं, जिसने दिल्ली में कदम रखा है. साथ ही JNU से पीएचडी करने का सपना देखा. मनीषा हरियाणा के मजदूर वर्ग के दलित परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता एक फैक्ट्री में मजदूरी करते थे. हालांकि बीजेपी सरकार की श्रम संहित में बदलाव की वजह से उनकी नौकरी चली गई. उन्हें समय से पहले ही रिटायर कर दिया गया.
मनीषा ने बताया कि जेएनयू में एडमिशन लेना कोई आसान काम नहीं था. अखिल भारतीय छात्र संघ (AISA) के एक बयान के अनुसार, प्रवेश परीक्षा पास करने के बावजूद, मनीषा को इंटरव्यू के दौरान भेदभाव का सामना करना पड़ा, जो 'दलित छात्रों को बाहर रखने के लिए' डिजाइन किया गया था. मनीषा ने कहा, हमें जेएनयू के लिए विरोध करने के लिए निष्कासन का सामना करना पड़ा है, लेकिन हमने कभी भी एबीवीपी को हमारे जैसे खड़े होते नहीं देखा. हमने लड़ाई लड़ी क्योंकि हमारा मानना था कि इस विश्वविद्यालय को सभी के लिए विकसित होना चाहिए.