क्या बड़बोलापन ले डूबा? पटपड़गंज के आप प्रत्याशी अवध ओझा के वो 5 बयान जो उनके ही खिलाफ हो गए
दिल्ली विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है, जहां पटपड़गंज सीट पर AAP प्रत्याशी अवध ओझा पीछे चल रहे हैं. भाजपा के रविंद्र नेगी को बढ़त मिली है. ओझा के चुनावी बयानों ने विवाद खड़े कर दिए, जिनमें 'असली और नकली राम' तथा 'बीजेपी को दिल्ली में घुसने नहीं दूंगा' जैसे बयान शामिल हैं, जो अब उनके खिलाफ जाते दिख रहे हैं.

दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर मतगणना चल रही है. पटपड़गंज सीट पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अवध ओझा पीछे चल रहे हैं. उनके खिलाफ मैदान में खड़े रविंद्र नेगी लगभग 12000 वोटों से आगे चल रहे हैं. चुनावी प्रचार के दौरान उनकी ओजस्वी शैली और बेबाक बोलने की आदत ने उन्हें पहचान तो दिलाई, लेकिन उन्होंने कई ऐसे बयान दिए जो उनके ही खिलाफ हो गए.
इस मामले में पहला बयान उनके शीश महल का ही था जो उन्होंने स्टेट मिरर से बातचीत में ही कहा था. उन्होंने कहा था कि 'राजा को महल में रहना ही पड़ता है'. इस बयान को लेकर बीजेपी ने खूब निशाना साधा था. इस बयान का मतलब ये था कि जिसे आम आदमी पार्टी शीशमहल नहीं मानती, उसे एक प्रत्याशी ने मान लिया. ऐसे ही कुछ और बयान थे जो उनके ही खिलाफ हो गया.
असली और नकली राम वाले
पटपड़गंज से AAP के उम्मीदवार अवध ओझा ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि हम असली राम वाले हैं, जबकि वे फर्जी राम वाले हैं. उन्होंने कहा कि भगवान राम को पाने के लिए T+T=T (त्याग + तपस्या = तमन्ना) का फॉर्मूला दिया. इससे पहले, AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने एक चुनावी सभा में रामायण का हवाला देते हुए सीताहरण की घटना का संदर्भ दिया, हालांकि, उन्होंने गलती से कहा कि सोने के हिरण के रूप में आए रावण ने सीता का अपहरण किया, जब भगवान राम भोजन की तलाश में बाहर गए थे. यह बयान काफी चर्चा में आया था और यह आम आदमी पार्टी के खिलाफ चला गया.
बीजेपी को दिल्ली में घुसने नहीं दूंगा
अवध ओझा ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार कहा कि वे बीजेपी को दिल्ली में टिकने नहीं देंगे. हालांकि, उनके इस बयान को विपक्ष ने तानाशाही मानसिकता करार दिया. बीजेपी ने इसे लोकतंत्र विरोधी बताया और कहा कि कोई भी पार्टी किसी क्षेत्र में अपनी पकड़ बना सकती है. इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर खूब बहस छिड़ी.
मैं जहां खड़ा होता हूं, जीत वहीं से शुरू होती है
अमिताभ बच्चन के डायलॉग को कॉपी कर अवध ओझा ने ये बात कही थी. यह बयान आत्मविश्वास से भरा हुआ था, लेकिन जब पटपड़गंज में शुरुआती रुझानों में उन्हें कड़ी टक्कर मिलती दिखी, तो विपक्ष ने इस बयान को उनके अहंकार से जोड़ दिया. विरोधियों ने कहा कि चुनाव जनता तय करती है, न कि कोई व्यक्ति अपनी जीत खुद तय कर सकता है.
दोस्त कभी नहीं चाहेगा कि दोस्त हार जाए
एक इंटरव्यू में अवध ओझा ने कहा था कि उन्होंने पटपड़गंज सीट मांगी थी और उन्हें मनीष सिसौदिया की सीट मिल गई. वह ऐसी सीट नहीं देंगे जहां से लगे कि उनका दोस्त हार जाए. ये कॉन्फिडेंस उनके लिए भारी पड़ गया. इस सीट पर पिछली बार जीत का अंतर मात्र 3000 था. इसका मतलब यह था कि पटपड़गंज सीट पर इस बार कड़ी टक्कर मिलने वाली है.
मैं किसी भी विवाद से नहीं डरता
अवध ओझा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे किसी भी विवाद से नहीं डरते और अपनी बात खुलकर रखते हैं. लेकिन जैसे ही उनके कुछ पुराने बयानों को लेकर विवाद शुरू हुआ, उन्होंने सफाई देनी शुरू कर दी. इस पर विपक्ष ने उन्हें घेरते हुए कहा कि जो व्यक्ति खुद को निडर बताता था, वह अब सफाई देने पर मजबूर क्यों हो गया? इन विवादों के बाद पार्टी से भी सख्त हिदायत भी मिली.