शॉर्ट्स तो चलेंगे, पर कुर्ता सलवार नहीं... पारंपरिक पोशाक पहने कपल को रेस्तरां में एंट्री करने से रोका, वीडियो वायरल; CM ने लगाई फटकार
दिल्ली के पीतामपुरा में एक रेस्तरां ने भारतीय पारंपरिक परिधान पहनने वाले दंपति को प्रवेश करने से रोक दिया, जिससे विवाद खड़ा हो गया. इसका वीडियो वायरल के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जांच का आदेश दिया. पर्यटन मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि रेस्तरां ने अब भारतीय पहनावे पर प्रतिबंध हटाने की पुष्टि की है. अधिकारियों ने भेदभाव के आरोपों की जांच शुरू कर दी है.

Delhi Pitampura Indian ethnic attire restaurant controversy : दिल्ली के पीतमपुरा में एक दंपति को कथित तौर पर भारतीय पारंपरिक पहनावे में होने के कारण एक रेस्तरां में प्रवेश से मना कर दिया गया. यह घटना 3 अगस्त को पीतमपुरा मेट्रो परिसर के ‘टुबाटा’ नामक रेस्तरां में हुई. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में एक टी-शर्ट पहने व्यक्ति और उनके साथ खड़ी महिला, जो कुर्ता-सलवार में थी, रेस्तरां के इस निर्णय पर नाराजगी जताते नजर आते हैं.
वीडियो में व्यक्ति को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “उन्होंने कम कपड़े पहनने वालों को जाने दिया और हमें कहा कि आपके एथनिक ड्रेस को अनुमति नहीं देंगे. यह भारतीय संस्कृति और एक महिला की अपमानजनक मानसिकता है.”
रेखा गुप्ता ने अधिकारियों को दिए जांच के निर्देश
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए हैं. पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा ने भी सोशल मीडिया पर ट्वीट कर कहा कि यह घटना दिल्ली के लिए अस्वीकार्य है.
कपिल मिश्रा ने क्या कहा?
मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि रेस्तरां के मालिक से बातचीत के बाद पुष्टि हुई है कि अब इस प्रकार की कोई भी नीति लागू नहीं की जाएगी. शुक्रवार को रेस्तरां के बाहर एक नोट भी लगाया गया जिसमें स्पष्ट लिखा था कि सभी प्रकार के भारतीय पारंपरिक पोशाक (साड़ी, सूट आदि) की अनुमति है.
पुलिस और नगर निगम अधिकारी ने शुरू की जांच
कपिल मिश्रा ने कहा कि पुलिस और नगर निगम अधिकारी ने भी इस मामले में जांच शुरू कर दी है. अधिकारियों का कहना है कि ऐसी किसी भी प्रकार की भेदभावपूर्ण नीति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. दिल्ली सरकार ने इस घटना को सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से गंभीर माना है और सुनिश्चित किया है कि सभी नागरिकों को उनके पहनावे की परवाह किए बिना समान अधिकार मिलें.