'मूंगफली-टमाटर खिलाकर बचाई परिवार की जान...' बुराड़ी बिल्डिंग हादसे में जिंदा बचे शख्स ने सुनाई आपबीती
दिल्ली के बुराड़ी में बिल्डिंग गिरने के 30 घंटे बाद चार लोगों के एक परिवार को मलबे से बाहर निकाला गया. इसमें पति-पत्नी और उनके दो बच्चे शामिल हैं. पति ने कहा कि उन्होंने बच्चों को टमाटर खिलाकर जिंदा रखा, जबकि वे और उनकी पत्नी मूंगफली खाकर जिंदा रहे. बुराड़ी में 27 जनवरी को चार मंजिला बिल्डिंग गिर गई थी, जिससे 4 लोगों की मौत हो गई.

Burari Building Accident: उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में सोमवार (27 जनवरी) को एक बिल्डिंग गिरने से 5 लोगों की मौत हो गई, जबकि 16 लोगों को बचाया गया. मंगलवार को इमारत ढहने के 30 घंटे से भी ज्यादा समय बाद चार लोगों को सुरक्षित बचा गया. इसमें पति-पत्नी और उनके दो बच्चे शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 30 वर्षीय पति राजेश ने बताया कि लोग अपने बच्चों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. मैंने अपने बच्चों को तीन टमाटर खिलाकर उनकी भूख और प्यास को दूर किया. वहीं, मैं और मेरी पत्नी मूंगफली खाकर जीवित रहे.
डीसीपी नॉर्थ राजा बंथिया ने बुधवार को बताया कि छत का एक हिस्सा गैस सिलेंडर पर गिर गया. इससे जगह बन गई और यह परिवार भी फंस गया. अधिकारियों ने बताया कि बचाव के तुरंत बाद राजेश, उनकी पत्नी गंगोत्री (26) और उनके बच्चों प्रिंस (6) और रितिक (3) को इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाया गया.
बिल्डर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और पुलिस अधिकारियों ने कहा कि बचाव अभियान गुरुवार को समाप्त होने की उम्मीद है. जीवित बचे लोगों में से एक लालता प्रसाद की शिकायत के बाद बिल्डर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
'दीवारों और खंभों में आने लगी थीं दरारें'
लालता प्रसाद ने अपनी शिकायत में लिखा, बिल्डिंग में दीवारों और खंभों में दरारें आने लगी थीं. मैंने बिल्डर को कई बार दरारें दिखाई थीं, लेकिन उसने कुछ लोगों से पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) लगाने और उन्हें छिपाने के लिए कहा. जब मैंने उसे बताया कि इमारत गिर सकती है और लोगों की जान जा सकती है, तो उसने मुझसे कहा कि वह इस इमारत में और पैसा नहीं लगा सकता. उसे इस बात की परवाह नहीं है कि लोग जिएं या मरें.
पलिस ने बिल्डर योगेंद्र भाटी को किया गिरफ्तार
पुलिस ने बिल्डर योगेंद्र भाटी को मंगलवार (28 जनवरी) को तिमारपुर से गिरफ्तार कर लिया. उस पर बीएनएस की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) और 3(5) (सामान्य इरादा) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
फायर डिपार्टमेंट और पुलिस मौके पर सबसे पहले पहुंचे
सोमवार शाम को जब इमारत ढही तो फायर डिपार्टमेंट और पुलिस घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचे. दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख अतुल गर्ग ने बताया कि जब भी ऐसी कोई घटना होती है, तो सबसे पहले लोगों को बचाने की जिम्मेदारी जीवित बचे लोगों और प्रत्यक्षदर्शियों की होती है. इसके बाद, जब अग्निशमन सेवा और पुलिस आती है, तो हम मलबे को हटाने के लिए काटने और उठाने वाले औजारों का इस्तेमाल करते हैं, जबकि पुलिस जमा हुई भीड़ को हटाती है और इलाके की घेराबंदी करती है.
पुलिस ने प्रत्यक्षदर्शियों और जिंदा बचे लोगों से घटना के बारे में पूरी जानकारी ली. डीसीपी नॉर्थ राजा बंथिया ने कहा कि हमने दो बच्चों को रोते हुए सुना, जिसके बाद हमने उन्हें मलबे से बाहर निकाला. उन्होंने बताया कि पहले कुछ बचाव कार्य बिना किसी सुरक्षा गियर के किए गए थे.
कैमरे से लोगों को बचाने में मिलती है मदद
एनडीआरएफ की 16वीं बटालियन के सेकेंड-इन-कमांड दौलत राम चौधरी ने कहा, जब बचे हुए लोग हमें बताते हैं कि इमारत ढहने से पहले हर व्यक्ति कहां था, तो हम पीड़ितों का पता लगाने वाले कैमरे का इस्तेमाल करते हैं. यह एक छोटा कैमरा होता है, जिसे मोड़े जा सकने वाले पाइप से जोड़ा जाता है. कैमरे में एक लाइट और स्पीकर लगा होता है. हमारे पास एक स्क्रीन है जिस पर फुटेज फीड होती है...हम जीवित बचे लोगों और शवों का पता लगाने के लिए खोजी कुत्तों का भी इस्तेमाल करते हैं.