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10-15 साल ‘बूढ़े’ वाहनों को ‘ईंधन’ की पाबंदी पर दिल्ली सरकार के मंत्री ही ‘बैकफुट’ पर आए...अब क्या होगा?

दिल्ली में 1 जुलाई से लागू हुए पुराने वाहनों को ईंधन न देने के आदेश का जोरदार विरोध शुरू हो गया है. दिल्ली सरकार के दो मंत्री, मनजिंदर सिंह सिरसा और प्रवेश वर्मा, ही इस फैसले के खिलाफ उतर आए हैं. उन्होंने इसे जल्दबाजी और केवल दिल्ली तक सीमित बताकर जनता के लिए समस्याजनक बताया है. सीएक्यूएम को कानून वापस लेने का अनुरोध किया गया है, जबकि हाईकोर्ट ने भी मामले में जवाब मांगा है.

10-15 साल ‘बूढ़े’ वाहनों को ‘ईंधन’ की पाबंदी पर दिल्ली सरकार के मंत्री ही ‘बैकफुट’ पर आए...अब क्या होगा?
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संजीव चौहान
By: संजीव चौहान

Updated on: 3 July 2025 10:28 PM IST

दिल्ली में 10 और 15 साल बूढ़े वाहनों (पुराने) पर 1 जुलाई 2025 से ईंधन न देने का ‘फरमान’ दो दिन में ही दम तोड़ गया. आनन-फानन में और सिर्फ दिल्ली में ही लागू कर डाले गए इस कानून का विरोध सबसे पहले दिल्ली सरकार के ही दो मंत्रियों ने कर डाला है. इस हिटलरी कानून या फरमान से पीड़ितों या भुक्तभोगियों की बात तो बाद की रही. दिल्ली सरकार के जो दो मंत्री इस ढीले कानून के विरोध में उतरे हैं, उनमें एक हैं पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और दूसरे लोक निर्माण विभाग मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा.

प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने इस कानून को सिर्फ दिल्ली में ही सबसे पहले लागू किए जाने के मुद्दे पर सवालिया निशान लगाया है. वहीं दिल्ली सरकार के ही दूसरे मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि यह कानून अभी जिन हालातों और जल्दबाजी में, सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली में लागू कर डाला गया है वह कतई ठीक नहीं है. इससे काफी लोगों के सामने रोजी-रोटी, कानूनी अड़चनों सहित बाकी कई बुनियादी समस्याएं खड़ी हो गई हैं.

मनजिंदर सिंह सिरसा ने CAQM को लिखा पत्र

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने तो बाकायदा इस कानून को दिल्ली से तुरंत हटाने को लेकर CAQM यानि Commission for Air Quality को ही पत्र भी लिख दिया है. अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि हम 'एंड ऑफ लाइफ व्हीकल'(End of Life Vehicle ELV) पर बहुत जल्दी ही एक नई प्रणाली विकसित करने वाले हैं. ताकि राजधानी में वायु-प्रदूषण भी काबू में रह सके और स्थानीय नागरिकों की गाड़ियां जब्त करने की नौबत ही न आने पाए. हम जिस प्रणाली पर काम कर रहे हैं, वह ऐसी होगी कि डीजल या पेट्रोल वाहनों को सिर्फ उनकी 10 या 15 साल की उम्र देखकर ही उन्हें सड़कों पर चलने से न रोकना पड़े. इसके साथ ही प्रदूषण को भी नियंत्रित रखा जा सके. मतलब अगर यह कहा जाए कि दिल्ली सरकार के जब मंत्री ही इस अजीब कानून को लेकर बैकफुट पर आ चुके हों, तो दिल्ली सरकार ही बैकफुट पर आकर खड़ी हो गई है, तब भी गलत नहीं होगा.

कानून से दिल्ली सरकार खुद भी खफा

मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को लिखे गए पत्र का जवाब अभी आना बाकी है. एक साथ एक ही कानून या मुद्दे पर मगर दिल्ली सरकार के ही दो-दो मंत्रियों का एक-राय होकर 'बैकफुट' पर आ जाना, यह साफ साफ दर्शाता है कि इस कानून से दिल्ली सरकार खुद भी खफा है. सीएक्यूएम को लिखे पत्र में मंत्री सिरसा ने कहा है कि जल्दबाजी में और सिर्फ दिल्ली में ही लगाए गए इस कानून ने ऊहापोह के से हालात पैदा कर दिए हैं. इस कानून से सीधे सीधे और तुरंत आम-आदमी प्रभावित हो रहा है. पेट्रोल-पंपों पर अनावश्यक तनाव बढ़ रहा है सो अलग. अगर यह कानून लागू करना भी था तो पूरी तैयारी के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लागू करते. सिर्फ दिल्ली में लागू करके और आसपास के इलाके (नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद) छोड़ देने से तो यह कानून वैसे भी समुचित या व्यवस्थित रूप से अमल में नहीं लाया जा सकता है. न ही यह कानून सिर्फ दिल्ली में लागू कर देने भर से कामयाब ही रहेगा. मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने CAQM को लिखे पत्र में आग्रह किया है कि फिलहाल जितनी जल्दी हो सके वह, इस कानून को दिल्ली में तो कम से कम जनहित में रोक ही दे.

कानून के पक्ष में नहीं हैं साहिब सिंह वर्मा

दिल्ली के लोक निर्माण मंत्री साहिब सिंह वर्मा भी इस कानून के पक्ष में कतई नहीं है. उनके मुताबिक, “दिल्ली वाले तो पहले से ही यातायात और प्रदूषण समस्या को लेकर परेशान हैं. अब रही सही कसर इस नए कानून को जल्दबाजी में जनता के ऊपर थोपकर पूरी कर डाली गई है. राजधानी में 10 और 15 साल पुराने निजी व व्यवसायिक वाहनों को ईंधन न देने और उन्हें जब्त करने से आम आदमी की समस्या बढ़ ही गई है. यह कोई प्रदूषण रोकने का समाधान तो बिलकुल नहीं कहा जा सकता है. अगर कानून लागू ही करना था तो फिर पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लागू किया जाता. इससे सिर्फ दिल्ली ही क्यों प्रभावित की गई?”

जल्द ही कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के साथ होगी बैठक

दिल्ली में रेखा गुप्ता कैबिनेट के मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने आगे कहा कि इस ज्वलंत और समस्याप्रद विषय पर जल्द ही कमीशन फॉर एअर क्वालिटी मैनेजमेंट के साथ एक आवश्यक बैठक होने वाली है. हम चाहेंगे कि उस बैठक में कोई ऐसा प्रभावी रास्ता निकल आए जो दिल्ली प्रदूषण से तो बची रह मगर, आम आदमी वह भी सिर्फ दिल्ली का रहने वाला प्रभावित न हो. कानून अगर लागू करना है तो उसे आमजन के हित को ध्यान में रखते हुए सरल और प्रभावी बनाकर, दिल्ली सहित पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में एक साथ लागू किया जाना आवश्यक है.

सिर्फ दिल्ली में सीएक्यूएम ने लागू किया आदेश

उल्लेखनीय है कि सीएक्यूएम ने 1 जुलाई 2025 से यह आदेश सिर्फ दिल्ली में लागू करवाया था. जिसके मुताबिक 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को दिल्ली के पेट्रोल पंप ईंधन नहीं देंगे. साथ ही इस कानून को सख्ती से लागू करवाने के लिए दिल्ली पुलिस और दिल्ली यातायात विभाग की टीमों को भी, सभी संभावित स्थानों पर संयुक्त रुप से धर-पकड़ के लिए तैनात कर दिया गया.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और सीएक्यूएम से मांगा जवाब

जिक्र जब ऐसे और जल्दबाजी में लागू कर डाले गए कानून का हो तब यहां बताना जरूरी है कि बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी दिल्ली सरकार और सीएक्यूएम से अपना-अपना जवाब देने को कहा है. हाईकोर्ट ने जवाब इसलिए मांगा है कि क्योंकि इस बारे में दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन ने वहां याचिका दाखिल कर रखी है, जिसमें कहा गया है कि एंड ऑफ लाइफ व्हीकल को ईंधन न देने के निर्देशों का पालन करवाने की कोई कानूनी शक्ति तो है ही नहीं. ऐसे में अगर कोई वाहन जो इस कानून का उल्लंघन करने का जिम्मेदार होने के बावजूद पेट्रोल पंप से ईंधन भरवाने में कामयाब हो जाता है, तो भी इस कानून का ठीकरा पेट्रोल पंप मालिकों-संचालकों के सिर बेवजह ही फोड़ा जा रहा है. आखिर ऐसा क्यों?

याचिका में साफ साफ कहा गया है कि जब पेट्रोल पंप डीलर-मालिक कानून की प्रवर्तन एजेंसी ही नहीं है, तब फिर उन्हें इस सख्त नियम के दायरे में जबरिया ही लाकर क्यों फांसा गया है कि अगर कोई प्रतिबंधित आयुसीमा वाला वाहन, जिस पेट्रोल पंप पर ईंधन लेता पकड़ा गया तो संबंधित पेट्रोल पंप के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी.

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