दिल्ली की 8 जाट बहुल सीटों का क्या है गणित, 10 प्रतिशत वोटर लिखेंगे AAP या बीजेपी की तकदीर?
दिल्ली में जाट समुदाय का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव काफी मजबूत है. यह समुदाय दिल्ली के चुनावी समीकरण में बेहद प्रभावी माना जाता है. जाट मतों का बड़ा हिस्सा एक दौर में बीजेपी के पक्ष में था, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में इसमें बिखराव देखने को मिला है.
दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर तारीखों का एलान चुका है. 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और 8 फरवरी को नतीजे घोषित होंगे. सभी राजनीतिक दल अपने-अपने मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं. बीजेपी और आम आदमी पार्टी जाट वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की पूरी कोशिश कर रही है.
दिल्ली में जाट समुदाय का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव काफी मजबूत है. यह समुदाय दिल्ली के चुनावी समीकरण में बेहद प्रभावी माना जाता है. जाट मतों का बड़ा हिस्सा एक दौर में बीजेपी के पक्ष में था, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में इसमें बिखराव देखने को मिला है.
ये भी पढ़ें :AAP से भी 2 कदम आगे निकली BJP, 300 यूनिट फ्री बिजली समेत कई योजनाओं की दे सकती है सौगात
क्या है जाट का वोट प्रतिशत?
दिल्ली में जाट वोटर्स की संख्या करीब 10% है. ग्रामीण क्षेत्रों की कई सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं. दिल्ली की 8 जाट बहुल सीटों में से 5 पर फिलहाल आम आदमी पार्टी का कब्जा है, जबकि 3 सीटें बीजेपी के पास हैं. जाट समुदाय एक संगठित वोट बैंक के रूप में कार्य करता है. यह समुदाय अपनी राजनीतिक ताकत को पहचानता है और सामूहिक रूप से मतदान करता है, जिससे चुनाव परिणामों पर इसका प्रभाव पड़ता है. दिल्ली के करीब 60% गांवों में जाट वोटर्स का दबदबा है और ग्रामीण सीटों पर हार-जीत तय करने में इनकी भूमिका अहम होती है.
क्या चाहती है बीजेपी?
बीजेपी जाट वोटर्स को अपने पक्ष में लाने के लिए प्रयासरत है. पार्टी ने नई दिल्ली सीट से स्व. साहेब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश सिंह वर्मा को उम्मीदवार बनाया है. साहेब सिंह वर्मा के राजनीतिक प्रभाव का लाभ उठाकर बीजेपी जाट वोटर्स को साधने की कोशिश कर रही है.
केजरीवाल ने उठाया आरक्षण का मुद्दा
वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जाट समुदाय के समर्थन में बड़ा दांव खेला है. उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि दिल्ली के जाटों को ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओबीसी लिस्ट में जाट समाज शामिल है, लेकिन केंद्र सरकार की लिस्ट में नहीं. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाट समुदाय से केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल करने का वादा चार बार किया, लेकिन इसे अब तक पूरा नहीं किया गया. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के जाट समुदाय के लोग केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते क्योंकि उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलता. उन्होंने बीजेपी पर जाट समुदाय की उपेक्षा करने और उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया.
जाट दिलाएंगे दिल्ली में जीत?
जाट समुदाय के अलावा ओबीसी वोट बैंक भी दिल्ली के चुनावी समीकरण में बेहद अहम है. संगठित और प्रभावी वोट बैंक के रूप में ओबीसी समुदाय का झुकाव जिस पार्टी की ओर होता है उसके जीतने की संभावना बढ़ जाती है. जाट समुदाय और ओबीसी वोट बैंक पर पकड़ बनाना दिल्ली चुनावों में जीत की कुंजी साबित हो सकता है. बीजेपी और AAP दोनों ही इसे लेकर अपनी-अपनी रणनीतियां अपना रही हैं. अब देखना यह होगा कि कौन सा दल जाट समुदाय का भरोसा जीत पाता है.





