दिल्ली कार ब्लास्ट: ‘मैडम सर्जन’ के नाम से चल रहा था देशभर में छह शहरों को दहलाने वाला ‘D-6 मिशन’
दिल्ली कार ब्लास्ट की जांच में 43 वर्षीय डॉ. शाहीन शाहिद उर्फ़ ‘मैडम सर्जन’ मास्टरमाइंड के रूप में सामने आई हैं. जब्त हुई डायरी और डिजिटल सबूतों में 6 दिसंबर को होने वाली “D-6 Mission” की विस्तृत प्लानिंग, टारगेट लिस्ट, फंडिंग और भर्ती नेटवर्क का खुलासा हुआ है. शाहीन, कश्मीरी डॉक्टर मज़म्मिल और उमर के साथ 2021 से जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल में सक्रिय थीं. 20 लाख की हवाला फंडिंग, तुर्किये में ISI हैंडलर से मीटिंग और उनकी रहस्यमयी गायबगी अब जांच के केंद्र में है.
दिल्ली के 10 नवंबर कार ब्लास्ट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, सुरक्षा एजेंसियों के हाथ ऐसे सबूत लगे हैं जो एक बड़े आतंकी ब्लूप्रिंट की तरफ इशारा करते हैं. जांचकर्ताओं का कहना है कि यह सिर्फ एक विस्फोट नहीं था, बल्कि भारत के छह बड़े शहरों को एक साथ दहला देने की बहु-स्तरीय साजिश का पहला चरण था. इस पूरी साजिश के केंद्र में है एक ऐसा नाम जिसकी कहानी खुद में हैरान करने वाली है - 43 वर्षीय डॉ. शाहीन शाहिद, जिसे आतंकियों की अंडरग्राउंड भाषा में कहा जाता था “मैडम सर्जन”.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. शाहीन शाहिद कभी कानपुर GSVM मेडिकल कॉलेज की एक शांत, जिम्मेदार और सभी की पसंदीदा डॉक्टर थीं. सहकर्मियों के अनुसार वह बेहद सौम्य स्वभाव की थीं, अपने छोटे बच्चे को अक्सर साथ लाती थीं, और निजी जिंदगी के बारे में शायद ही कभी बात करती थीं. लेकिन 2010 से उनका व्यवहार बदलने लगा - नया हिजाब, नई विचारधारा और एक भारतीय मूल के विदेशी डॉक्टर से लगातार संपर्क. धीरे-धीरे यह बदलाव इतना गहरा हो गया कि 2013 में वह अचानक कॉलेज से गायब हो गईं. 4 जनवरी 2014 को लौटने का वादा किया, लेकिन कभी लौटी नहीं. 2016 में जब स्टाफ उनके पते पर गया तो पता फर्जी निकला. 2021 में कॉलेज ने उन्हें औपचारिक रूप से बर्खास्त कर दिया. आज वही डॉक्टर देश के सबसे खतरनाक आतंकी मॉड्यूल की “मुख्य संचालक” मानी जा रही हैं.
खुलासा ‘D-6 Mission’ का
फरीदाबाद से गिरफ्तार शाहीन से बरामद डिजिटल डिवाइस, डायरी, हैंडरिटन नोट्स और कोडेड प्लानिंग डॉक्यूमेंट्स ने एजेंसियों को चौंका दिया है. इन दस्तावेज़ों में शामिल है -
- “D-6 Mission” की डिटेल्स
- छह शहरों की टारगेट लिस्ट
- धमाकों की तारीखें
- भर्ती का ढांचा
- फंडिंग का हिसाब
- सुरक्षित संचार के तरीके
- आतंकी मॉड्यूल में डॉक्टरों की जिम्मेदारियां
सबसे बड़ा खुलासा: 6 दिसंबर को एक बड़े हमले की योजना, जिसे 1992 की बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की “बदला कार्रवाई” बताया गया है.
IS-backed संरचना और ISI की भूमिका
जांच में सामने आया है कि शाहीन सिर्फ भारत में सक्रिय किसी लोकल मॉड्यूल का हिस्सा नहीं थीं, बल्कि 2021 से वह जैश-ए-मोहम्मद और पाकिस्तान स्थित हैंडलरों के बड़े नेटवर्क से जुड़ी हुई थीं. मार्च 2022 में शाहीन, कश्मीरी डॉक्टरों उमर-उन-नबी और मुझम्मिल गनई के साथ तुर्किये गई थीं, जहां उनकी मुलाकात ISI हैंडलर अबू उकाशा से हुई. इसी बैठक में कथित तौर पर “D-6 मिशन” को ग्रीन सिग्नल मिला.
20 लाख का हवाल नेटवर्क-भर्ती से लेकर रिक्की तक का खर्चा
जांच एजेंसियों ने एक 20 लाख रुपये का हवाल चैनल पकड़ा है जिसे जैश के एक विदेश-स्थित हैंडलर ने शाहीन, उमर और मुझम्मिल को भेजा था. ये पैसे सुरक्षित ठिकाने बनाने, नए भर्ती अभियानों, बर्नर फोन खरीदने, दिल्ली और अन्य शहरों में रिक्की, सुरक्षित यात्रा और संपर्कों पर खर्च किए गए. एजेंसियां शाहीन के सात बैंक अकाउंट्स की जांच कर रही हैं - कानपुर में तीन, लखनऊ में दो और दिल्ली में दो. संदेह है कि इन्हीं अकाउंट्स के ज़रिए आतंकियों को धन पहुंचाया गया.
दिल्ली ब्लास्ट-एक टेस्ट रन?
10 नवंबर के कार ब्लास्ट को अब एजेंसियां “टेस्ट रन” की तरह देख रही हैं- यानी यह धमाका मुख्य साजिश का ट्रायल था. इसके तुरंत बाद देशभर में कई अज्ञात मोबाइल नंबर सक्रिय पाए गए थे, जिनमें से कई शाहीन के नेटवर्क से जुड़े निकल रहे हैं. दिल्ली पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो का मानना है कि यह मॉड्यूल कम से कम चार साल से भारतीय शहरों का मैपिंग कर रहा था.
कश्मीरी डॉक्टरों की भूमिका
शाहीन के साथ मॉड्यूल में दो और नाम सबसे अधिक चर्चा में हैं डॉ. मुझम्मिल अहमद गनई और डॉ. उमर उन नबी. दोनों कश्मीर के चिकित्सा संस्थानों से जुड़े रहे हैं और कथित तौर पर 2021 में शाहीन के संपर्क में आकर जैश की गहरी संरचना में शामिल हुए. दोनों की जिम्मेदारी थी मेडिकल स्टूडेंट्स का कट्टरपंथी बनाना और रिक्की टीमों को मेडिकल सहायता का कवर देना. इसके अलावा विस्फोटकों के असर का अनुमान और सुरक्षित आने-जाने के लिए मेडिकल पहचान का इस्तेमाल करना.
2010-2025- कट्टरपंथ की ओर 15 वर्षों की यात्रा
एक सहकर्मी ने जांचकर्ताओं को बताया कि 2010 में शाहीन की विचारधारा में "स्पष्ट बदलाव" आया था. एक विदेशी डॉक्टर उनसे लगातार संपर्क में था और उन्हें विचारधारात्मक वीडियो तथा किताबें भेजता था. 2015-16 में वह भारत लौटकर जैश की स्थानीय शाखाओं से जुड़ गईं और 2021 तक वह मॉड्यूल का रणनीतिक चेहरा बन गई थीं. एक रिश्तेदार ने पूछने पर कि उन्होंने सब अचानक क्यों छोड़ दिया, पति, नौकरी, परिवार - तो शाहीन का कथित जवाब था: “मैंने अपने लिए काफी जी लिया है. अब वक़्त है अपने समुदाय का कर्ज़ चुकाने का.”
भारत के छह शहरों पर ‘एक साथ वार’ की योजना
डायरी में दर्ज “D-6 Mission” का नाम विशेष ध्यान खींच रहा है. एजेंसियों के अनुसार:
D = December
6 = 6 December
साजिश का उद्देश्य था - 6 दिसंबर 2025 को छह शहरों में एकसाथ हमले कर देश में व्यापक अस्थिरता पैदा करना. इन शहरों के नाम दस्तावेज़ में कोड में दर्ज हैं, जिसे एजेंसियां डिक्रिप्ट कर रही हैं.
अधिकारियों का मानना है कि यह मॉड्यूल अगर समय रहते न पकड़ा जाता, तो भारत को 6 दिसंबर को एक साथ कई शहरों में आतंकवादी हमले का सामना करना पड़ सकता था - जिसका पैमाना 1993 मुंबई ब्लास्ट जैसा या उससे भी बड़ा हो सकता था.





