Safety के लिए रोहिंग्या-बांग्लादेशियों को जल्दी पकड़ें, मॉक ड्रिल से पहले शाह ने क्या-क्या कहा?
दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह ने एक बैठक की. उन्होंने निर्देश दिए कि दिल्ली में मौजूद घुसपैठिया बंग्लादेशी और रोहिंग्याओं के खिलाफ आए दिन अभियान चलाए जाएं. ताकि इन्हें पकड़कर डिपोर्ट किया जा सके. इससे भी राजधानी में होने वाले अपराधों में कमी आएगी.

भले ही दिल्ली पुलिस क्यों न कितना ही राग अलापती रहे कि खुद वो (दिल्ली पुलिस) और उसके शहर में अमन-चैन है. हकीकत का चेहरा मगर अलग ही. इसकी पुष्टि तब हुई जब सोमवार को मंत्रालय में आहूत बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर आईपीएस संजय अरोरा को, राजधानी में कानून व्यवस्था को दुरुत करने के लिए कई आदेश एक संग दे डाले. दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के आने के बाद से पुलिस आयुक्त और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के साथ यह दूसरी अहम बैठक थी.
बैठक में केंद्रीय गृह सचिव सहित, दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना, दिल्ली के मुख्य सचिव, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो और नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के महानिदेशक, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, पुलिस आयुक्त संजय अरोरा मौजूद थे. बैठक में जेल, दिल्ली पुलिस, दिल्ली की अदालतों में कानून और पुलिस समन्वयन जैसे बिंदुओं पर प्रमुखता से चर्चा की गई. केंद्रीय गृहमंत्री की अध्यक्षता में आहूत की गई खास बैठक में यूं तो काफी मुद्दों पर बात हुई. इनमें जेल, कानून, कोर्ट, अभियोजन और फॉरेंसिक से संबंधित कार्यों को सकारात्मक रूप से गति देने पर जोर दिया गया.
चार्जशीट दाखिल करने में लेट-लतीफी बंद करो
गृहमंत्री ने मातहतों से कहा कि कोर्ट द्वारा निर्धारित वक्त यानी 60 से 90 दिन के भीतर चार्जशीट अदालत में दाखिल हो जानी चाहिए. ताकि आरोपी को इसका बेजा लाभ न मिल सके. यह जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस की है कि वो कैसे निर्धारित अवधि के भीतर आरोप-पत्रों को अदालत में दाखिल करवाती है. इसके लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर को मातहतों की जिम्मेदारी-जबाबदेही तय करनी होगी. इस वक्त दिल्ली की अदालतों में दोष-सिद्धि की जो दर है, दिल्ली पुलिस हर हाल में इस मौजूदा दर को 20 फीसदी तक जल्दी ही बढ़ाना सुनिश्चित करे. केंद्रीय गृहमंत्री के मुताबिक दिल्ली की अदालतों में ई-समन प्रणाली का पालन कड़ाई से किया जाना चाहिए. ताकि समय और श्रम दोनो की बचत हो सके. साथ ही इन ई-समन की एक प्रति संबंधित थाने को भी प्राप्त कराया जाना दिल्ली पुलिस कमिश्नर सुनिश्चित करेंगे.
अमित शाह की पिछली बैठक का मसौदा फाइलों में बंद!
इसी साल 28 फरवरी 2025 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक खास बैठक आहूत की थी. सोमवार को बैठक में मौजूद अधिकारियों में से अधिकांश चेहरे उस बैठक में भी शामिल हुए थे. तब केंद्रीय गृहमंत्री ने कई आदेश दिए थे. अब जब सोमवार (5 मई 2025) की बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री ने अपनी पहली मीटिंग के आदेशों के पालन की समीक्षा की तो मालूम पड़ा कि, परिणाम ढाक के तीन पात ही रहे हैं. उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो पिछली बैठक में साफ साफ आदेश दिये गए थे कि, दिल्ली में कहीं भी चल रहे निर्माण कार्य स्थलों पर दिल्ली पुलिस का सिपाही से लेकर ऊपर तक का कोई, परिंदा पर नहीं मारेगा. ऐसा मगर हो नहीं सका.
केंद्रीय गृह मंत्रालय को इसलिए सख्त होना पड़ा
यह कदम दिल्ली पुलिस की उन बेजा हरकतों को देखकर उठाया गया था जिनमें पता चला था कि, दिल्ली पुलिसकर्मी इलाके (थाना क्षेत्र में)में हो रहे किसी भी निर्माण-कार्य स्थल पर जा पहुंचते हैं. और मौके की वीडियो-फोटो बनाकर निर्माण करवाने वाले को धमकाने लगते हैं कि, वह अवैध निर्माण करवा रहा है. यहीं से दिल्ली पुलिस में निर्माण कार्य स्थलों पर अवैध वसूली शुरू हो जाती थी. निर्माण करवाने वाले को धमका पुलिस वाले मोटी रकम ऐंठकर चले जाते थे. पिछली बैठक में तय हुआ था कि दिल्ली के किसी भी कोने में कहीं भी कोई भी निर्माण कार्य हो रहा, वह वैध है या अवैध? यह देखना दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली नगर निगम का है. ऐसे में दिल्ली पुलिस का अगर कोई सिपाही भी किसी निर्माण स्थल पर पहुंचा पाया गया, तो इसकी जिम्मेदारी सीधे सीधे दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोरो की होगी. केंद्रीय गृहमंत्रालय के पहली बैठक में दिए गए आदेश को मगर दिल्ली पुलिस ने ठेंगा दिखा दिया. इस पर सोमवार की बैठक में फिर दिल्ली पुलिस कमिश्नर से दो टूक कह दिया गया कि, वे बहुत जल्दी मातहत पुलिस वालों को निर्माण-कार्य स्थलों पर जाने से पाबंद कर लें.
जनता धक्के नहीं खाएगी, पुलिस चलकर जाए
केंद्रीय गृहमंत्री ने साफ कर दिया कि अब दिल्ली की कानून व्यवस्था को मजबूत और जनहित वाला बनाना ही होगा. खुद मनमर्जी से दिल्ली पुलिस नहीं चलेगी. इसी के तहत डीसीपी (जिला पुलिस उपायुक्त) और एसीपी (सहायक पुलिस आयुक्त) अपनी कार्यशैली तुरंत बदल लें. आमजन की पुलिस बनाने के लिए अब डीसीपी को थाने-थाने जाकर जन-सुनवाई शिविर लगाने होंगे. इन्हीं शिविरों में उस जनता की परेशानियों का निस्तारण करना होगा, जिनके लिए अब तक दिल्ली की जनता थाने, चौकी और जिला पुलिस अफसरों के दफ्तरों में धक्के खाती थी. अब जनता कहीं किसी पुलिस अफसर के दफ्तरों में जाकर धक्के खाने को मजबूर नहीं होगी. जनता के बीच खुद पुलिस को पहुंचना है. साथ ही गंभीर अपराधों की निगरानी अब सिर्फ एसएचओ के ऊपर नहीं छोड़ी जाएगी. आइंदा से गंभीर आपराधिक मामलों की निगरानी खुद सब-डिवीजन के एसीपी करेंगे.
दिल्ली में मौजूद घुसपैठियों के पीछे लग जाएं
बैठक में इस बात के निर्देश भी दिए गए कि दिल्ली में मौजूद घुसपैठिया बंग्लादेशी और रोहिंग्याओं के खिलाफ आए दिन अभियान चलाए जाएं. ताकि इन्हें पकड़कर डिपोर्ट किया जा सके. इससे भी राजधानी में होने वाले अपराधों में कमी आएगी. इसी के साथ दिल्ली के उन इलाकों को चिह्नित किया जाए जो छोटे-छोटे अपराधों के साथ मादक पदार्थों की तस्करी के लिए बदनाम हैं. ऐसे इलाकों में पुलिस विजिलेंस बढ़ाई जाए. ताकि अपराधों में कमी और और अपराधियों में कानून-पुलिस का खौफ पैदा हो सके. इससे दिल्ली की जनता को भी सुरक्षा और राहत महूसस होगी. पुलिस की जिम्मेदारी भी अपराध मुक्त समाज देने की होती है. दिल्ली में लगने वाले जाम के प्वाइंट्स की पहचान करके, वहां ट्रैफिक व्यवस्था सुगम करने को भी प्राथमिकता पर रखने को कहा गया है. ताकि दिल्ली ‘जाम’ की हालत से बच सके.