जात की राजनीति से अछूती नहीं दिल्ली! BJP, कांग्रेस और AAP ने जनरल सीट पर उतारे दलित उम्मीदवार
Delhi Assembly Election 2025: लोकसभा चुनावों में अयोध्या और मेरठ जैसी सामान्य सीटों पर दलितों को टिकट देने से सपा को चुनावी लाभ मिला था. बीजेपी, आप और कांग्रेस भी इसी फॉर्मूले के साथ दिल्ली में जीत का रास्ता तय करना चाहती है.

Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियां राजनीति में इस कदर जातिगत समीकरण बैठाने में लगी हैं कि सामान्य श्रेणी की सीटों से दलित उम्मीदवारों को ही मैदान में उतार दिया. इस तरह दिल्ली का चुनाव भी जात की राजनीति से अछूता नहीं दिख रहा. पार्टियां यहां भी अपना राजनीतिक हिसाब लगाने की कोशिश में लगी है.
दरअसल, बीजेपी और आप ने जनरल कैटेगरी की सीट पर भी दलित उम्मीदवारों को टिकट दे दी. वहीं कांग्रेस ने एक गैर-एससी सीट से एक दलित उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. दिल्ली में 16% के आसपास दलित समुदाय है, जहां 70 विधानसभा सीट में से 12 दलितों के लिए आरक्षित है.
दलितों को लुभाने की कोशिश
लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद दलितों को लुभाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही भाजपा ने गैर-आरक्षित सीटों से दो दलित उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.
दोनों मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र हैं और पुरानी दिल्ली के बीचों-बीच स्थित हैं. पार्टी ने मटिया महल से दीप्ति इंदौरा और बल्लीमारान से कमल बागरी को उतारा है. दिल्ली में एससी समुदाय के लिए 12 सीटें आरक्षित हैं, लेकिन भाजपा ने 14 दलित उम्मीदवार उतारे हैं.
कांग्रेस से अरुणा कुमारी सामान्य श्रेणी सीट नरेला से चुनाव लड़ रही हैं. वहीं आम आदमी पार्टी ने भी सामान्य श्रेणी की सीटों पर अपने 2 ऐसे उम्मीदवार उतारे हैं, जो दलित है. पार्टियों अपने चुनावी समीकरण को साधते हुए सामान्य श्रेणी की सीट पर भी दलित उम्मीदवार उतार रही है, जिसका सीधा फायदा विधानसभा चुनाव में उठाना चाहती है.
इस फॉर्मूले ने सपा-कांग्रेस को पहुंचाया था फायदा
सपा-कांग्रेस गठबंधन ने लोकसभा चुनावों में भाजपा को चौंका दिया था, उत्तर प्रदेश में एनडीए की 36 सीटों के मुकाबले 43 सीटें जीती थीं. 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में बीजेपी ने यूपी में अपनी 30 सीटें खो दी थीं. इस हार के कारण भाजपा लोकसभा में बहुमत से चूक गई.