Delhi Election: 26 साल बाद सत्ता वापसी की कोशिश में लगी BJP, क्या-क्या लगा है दांव पर?
Delhi Assembly Election 2025: बीजेपी पूरा दम के साथ इस बार का दिल्ली चुनाव लड़ रही है, जिसमें हाई प्रोफाइल नेता से लेकर महीनों से तराशी गई उसकी चुनावी जमीन दांव लगी है. ऐसे में बीजेपी के पास इस बार करो या मरो जैसी स्थिति बनती दिख रही है.

Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपना सब कुछ दांव पर लगा चुकी है. बीजेपी 26 साल से अधिक समय के बाद दिल्ली में सत्ता हासिल करने के लिए अपना पूरा दम लगा रही है. पार्टी परिवर्तन के नारे और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर आप नेता अरविंद केजरीवाल पर निशाना साध रही है.
भाजपा ने आखिरी बार राष्ट्रीय राजधानी में दिसंबर 1993 से दिसंबर 1998 तक सत्ता संभाली थी, इस दौरान उसके तीन मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना, सुषमा स्वराज और साहिब सिंह वर्मा रहे. इस बार कई मुद्दों के साथ बीजेपी ने आरोप लगाया है कि 'आप' अपने मतदाता आधार को मजबूत करने के लिए बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध प्रवासियों की सहायता कर रही है.
नई दिल्ली सीट पर कड़ा मुकाबला
नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र एक महत्वपूर्ण चुनावी मैदान बन गया है. यहां से केजरीवाल का मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा और कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित कर रहे हैं.
इन मुद्दों के सहरे सत्ता वापसी
बीजेपी नेताओं का कहना है कि ये चुनाव में सत्ता में वापसी का उनका सबसे अच्छा मौका है, क्योंकि उनके सामने केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों - 'शीश महल' और 'शराब घोटाले' जैसे मजबूत मुद्दे हैं और इसके जरिए सत्ता विरोधी लहर को जगाने में वो कामयाब भी हो रहे हैं.
हाई-प्रोफाइल उम्मीदवार लगे हैं दांव पर
बीजेपी की लिस्ट में कई हाई-प्रोफाइल उम्मीदवार शामिल हैं, जैसे कि दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली और आप के पूर्व मंत्री राज कुमार चौहान, कैलाश गहलोत और राज कुमार आनंद, जो सभी हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं. साउथ दिल्ली से भाजपा के पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी भी सीएम आतिशी के खिलाफ कालकाजी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
इस बार दिल्ली चुनाव में बीजेपी के लिए हाई-प्रोफाइल उम्मीदवारों से लेकर चुनाव के लिए कई महीनों से तैयार की गई जमीन दांव पर लगी है. वहीं सत्ताधारी पार्टी आप की सभी मुफ्त योजनाओं को जारी रखने के वादे के साथ भी बीजेपी खुद को सत्ता की मजबूत दावेदार बता रही है.