दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेगी केजरीवाल की सेना, कांग्रेस पर लगाए ये गंभीर आरोप
Delhi Assembly Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ती जा रही है. पार्टियों ने इसे लेकर अपनी-अपनी तैयारी और तालमेल बिठाना भी शुरू कर दिया है. इसे लेकर दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी 'आप' ने भी बयान देने शुरू कर दिए. कयास लगाए जा रहे हैं कि ये चुनाव जनवरी 2025 में करवाए जा सकते हैं. हालांकि, चुनाव आयोग की घोषणा का इंतजार है.

Delhi Assembly Election: आम आदमी पार्टी हरियाणा में चारों खाने चित्त होने के बाद दिल्ली चुनाव को लेकर अपनी कमर कसती नजर आ रही है. अपनी इस तैयारी के साथ 'आप' ने दिल्ली चुनाव अकेले लड़ने का एलान कर दिया है. पार्टी का कहना है कि कांग्रेस के साथ रहकर भी उसे कभी उसका समर्थन नहीं मिला. लोकसभा 2024 में दिल्ली की सातों सीटों पर कांग्रेस और 'आप' ने मिलकर 'INDIA' गठबंधन के जरिए चुनाव लड़ा था. हालांकि, चुनाव में साथ आकर भी उन्हें सफलता नहीं मिल पाई थी.
आप की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, 'हम दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे. एक तरफ अति आत्मविश्वासी कांग्रेस है और दूसरी तरफ अहंकारी भाजपा है. हमने पिछले 10 सालों में दिल्ली में जो किया है, उसके आधार पर हम चुनाव लड़ेंगे.'
आप प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के एक दिन बाद पार्टी के इस फैसले की पुष्टि की. हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा विजयी हुई जबकि उनकी पार्टी खाता भी नहीं खोल पाई. मंगलवार के चुनाव नतीजों ने हरियाणा में AAP के लिए बड़ा झटका दिया, जहां पार्टी न केवल एक भी सीट हासिल करने में असफल रही, बल्कि 2% से भी कम वोट शेयर भी हासिल किया.
हरियाणा चुनाव में 'आप' की जमानत जब्त
हरियाणा विधानसभा चुनाव में आप की ये स्थिति तब हुई, जब पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जमानत पर रिहा होने के बाद अपने गृह राज्य में कई रोड शो और आउटरीच कार्यक्रम किए . वह हरियाणा के भिवानी जिले के सिवानी के मूल निवासी हैं. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने मतदाताओं से 'हरियाणा के लाल' का समर्थन करने का आग्रह किया था.
केजरीवाल की भावुक अपील का नहीं पड़ा असर
केजरीवाल के भावनात्मक अभियान के आधार पर वोटों की अपील मतदाताओं को प्रभावित नहीं कर पाई. मनीष सिसोदिया, सांसद संजय सिंह, राघव चड्ढा और केजरीवाल जैसे प्रमुख नेताओं ने भ्रष्टाचार, केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भाजपा पर हमला भी किया. हालांकि, बीजेपी इन सभी आरोपों को डिफेंड करने में कामयाब साबित हुई.