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कौन था 1 करोड़ का इनामी नक्सली हिडमा, पत्नी संभालती थी बैकअप कम्युनिकेशन; मारेडुमिल्ली के जंगलों में सुरक्षाबलों ने किया ढेर

आंध्र प्रदेश के मारेडुमिल्ली जंगलों में सुरक्षाबलों ने 1 करोड़ के इनामी और 26 से ज्यादा नक्सली हमलों के मास्टरमाइंड हिडमा को ढेर कर दिया. PLGA बटालियन नंबर 1 का प्रमुख हिडमा 2010 दंतेवाड़ा, 2013 झीरम घाटी और 2021 सुकमा–बीजापुर जैसे बड़े हमलों का जिम्मेदार था. ऑपरेशन में उसकी पत्नी राजे समेत छह माओवादी मारे गए. DGP और SP ने इसे बस्तर के इतिहास की सबसे बड़ी सफलता बताया है.

कौन था 1 करोड़ का इनामी नक्सली हिडमा, पत्नी संभालती थी बैकअप कम्युनिकेशन; मारेडुमिल्ली के जंगलों में सुरक्षाबलों ने किया ढेर
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नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 18 Nov 2025 12:23 PM

आख़िरकार वह नाम, जिससे बस्तर के जंगल कांपते थे और सुरक्षाबल हर बड़े ऑपरेशन से पहले दो बार रणनीति बनाते थे माडवी हिडमा अब जिंदा नहीं है. 1 करोड़ रुपये का इनामी, 26 से ज्यादा नरसंहारों और घातक हमलों का मास्टरमाइंड, PLGA बटालियन नंबर 1 का कमांडर हिडमा को आज आंध्र प्रदेश के मारेडुमिल्ली जंगलों में सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया.

हिडमा की मौत सिर्फ एक मुठभेड़ का नतीजा नहीं, बल्कि तीन राज्यों आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की खुफिया सूचनाओं और महीनों की प्लानिंग का परिणाम है. इस ऑपरेशन में हिडमा की दूसरी पत्नी राजे सहित छह माओवादी भी मारे गए. सुरक्षा एजेंसियां इसे बस्तर में माओवादी तंत्र पर सबसे बड़ा झटका बता रही हैं.

कैसे ढेर हुआ हिडमा?

आंध्र प्रदेश पुलिस और ग्रेहाउंड्स की संयुक्त टीम को बीते कुछ दिनों से इन जंगलों में बड़े माओवादी समूह की मौजूदगी की सूचना मिल रही थी. गुरुवार तड़के 6:30 बजे एनकाउंटर तब शुरू हुआ जब सुरक्षा बलों ने एक संदिग्ध मूवमेंट को ट्रैक किया. जवाबी फायरिंग में हिडमा समेत छह नक्सली ढेर हो गए.

कौन था माडवी हिडमा?

1981 में सुकमा के पुवर्ती गांव में जन्मा हिडमा बेहद कम उम्र में माओवादी संगठन में शामिल हुआ. वह मुरिया जनजाति से ताल्लुक रखता था और उसने दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की थी. हिड़मा कई नामों से जाना जाता था - देवा, संतोष, विलास उसके प्रमुख उर्फ थे. वह पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन का कमांडर था और दक्षिणी थिएटर में माओवादियों की सैन्य रणनीति का प्रमुख चेहरा माना जाता था. शिक्षा सीमित होने के बावजूद, वह संगठन में तेजी से ऊपर बढ़ा और CPI (माओइस्ट) की केंद्रीय समिति तक पहुंचा. तेज़ दिमाग, जंगल युद्ध में पकड़ और निर्दयी रणनीतियों की वजह से वह तेजी से ऊपर बढ़ता गया. वह CPI (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सबसे कम उम्र का सदस्य बना और PLGA बटालियन नंबर 1 का प्रमुख नियुक्त हुआ जो माओवादियों की सबसे खतरनाक और अटैक-ओरिएंटेड यूनिट मानी जाती है.

कैसे बना ‘रेड कॉरिडोर’ का ऑपरेशन मास्टरमाइंड?

झीरम घाटी नरसंहार के बाद ही सुरक्षा एजेंसियों की नज़र में हिडमा का नाम उभरकर आया. इसके बाद वह बस्तर में माओवादियों का सबसे बड़ा रणनीतिकार बन गया. उसका खास हथकंडा था...

  • जंगलों का नक्शा बदलना
  • अचानक घात लगाकर हमला
  • सुरक्षाबलों को उलझाने के लिए फर्जी मूवमेंट
  • स्थानीय युवाओं को ब्रेनवॉश कर भर्ती करना

हिडमा दशकों तक सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ा लक्ष्य बना रहा.

किन हमलों में हिडमा की भूमिका थी?

  • 2010 दंतेवाड़ा हमला: 76 CRPF जवान शहीद- भारत में नक्सलियों द्वारा किया गया सबसे बड़ा हमला.
  • 2013 झीरम घाटी नरसंहार: कांग्रेस के शीर्ष नेताओं सहित 27 लोग मारे गए. देशभर में सनसनी.
  • 2021 सुकमा–बीजापुर एम्बुश: 22 सुरक्षा बलों के जवान शहीद. लंबे समय तक चला ऑपरेशन.

इसके अलावा वह 26 से अधिक हमलों के पीछे मुख्य रणनीतिकार माना जाता था.

पत्नी भी मुठभेड़ में ढेर

सुरक्षा एजेंसियों ने लंबे समय तक उसकी लोकेशन ट्रैक नहीं कर सकीं क्योंकि वह सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल नहीं करता था. जंगलों के भीतर छिपे बंकरों में रहता था. स्थानीय वेशभूषा में घूमता था. इस मुठभेड़ में उसकी दूसरी पत्नी राजे उर्फ राजक्का भी मारी गई. वह बैकअप कम्युनिकेशन संभालती थी. राजक्का भी एक डिविजनल कमेटी मेंबर (DVCM) थी और PLGA बटालियन में बतौर शिक्षिका और प्रेरक की भूमिका निभाती थी. दोनों अक्सर एक ही टीम के साथ चलते थे और सुरक्षा एजेंसियों के निरंतर रडार पर थे.

तीन राज्यों में समानांतर ऑपरेशन, कैसे घिरा हिडमा?

खुफिया इनपुट के आधार पर आंध्र पुलिस, छत्तीसगढ़ DRG और तेलंगाना ग्रेहाउंड्स ने एक संयुक्त घेरा बनाया. सुरक्षाबलों को अंदेशा था कि हिडमा नई भर्ती के लिए गुप्त मीटिंग के सिलसिले में जंगल में मौजूद है. घेरा इतना मजबूत था कि नक्सली भागने का रास्ता भी नहीं खोज पाए.

मौके से क्या-क्या बरामद हुआ?

ऑपरेशन के बाद पुलिस ने मौके से इंसास और AK-47 राइफल, विस्फोटक सामग्री, वायरलेस सेट, बटालियन की आंतरिक डायरियां, कई यूनिफॉर्म और कैंप मैटेरियल, बरामद किए हैं, जो बड़े नेटवर्क के खुलासे में अहम होंगे.

क्या बोले DGP और एसपी अमित बरदार?

अल्लूरी सीताराम राजू जिले के एसपी अमित बरदार ने बताया, “सुबह 6:30 से 7 बजे के बीच मारेडुमिल्ली के जंगलों में मुठभेड़ शुरू हुई. अब तक छह माओवादियों के मारे जाने की पुष्टि हुई है. यह पुलिस और सुरक्षाबलों का संयुक्त ऑपरेशन था. इलाके में व्यापक तलाशी अभियान जारी है.” वहीं, आंध्र प्रदेश के DGP ने कहा, “मारेडुमिल्ली क्षेत्र में मुठभेड़ में एक टॉप माओवादी नेता समेत छह नक्सली मारे गए हैं. यह माओवादियों की कमर तोड़ने वाला ऑपरेशन है. हम पूरे जंगल क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन को और तेज कर रहे हैं.”

बस्तर के इतिहास की सबसे बड़ी सफलता

हिडमा माओवादी नेटवर्क की सबसे मजबूत कड़ी था. उसकी मौत के बाद सुरक्षा एजेंसियां मान रही हैं कि बस्तर क्षेत्र में माओवादियों की हिट-एंड-रन क्षमता कमजोर होगी. नए कैडर की भर्ती रुक जाएगी. PLGA बटालियन नंबर 1 लगभग बिखर जाएगी. यह ऑपरेशन माओवादी हिंसा कम करने की दिशा में गेम-चेंजर साबित हो सकता है.

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