दो लड़कियों ने मोहल्ले में उड़ाए सबके होश, नीली बाल्टी लेकर की एंट्री, सुबह खुला ऐसा राज कि दंग रह गए लोग
छत्तीसगढ़ के बौरीपारा से एक मामला सामने आया है, जहां एक मां ने अपने नवजात बच्चे को बाल्टी में डालकर कूड़े के ढेर में फेंक दिया. दरअसल जब मोहल्ले के लोगों को बदबू आई, तब उन्होंने झांककर देखा, तो उन्हें एक बच्चा मिला. अब पुलिस सीसीटीवी से महिला की पहचान करने में जुट गई है.

मां बनना इस दुनिया का सबसे बेहतरीन एहसास होता है. एक मां अपने बच्चे के लिए हर किसी से लड़ लेती है, लेकिन यह बात हर किसी के मामले में सच नहीं होती है. कई ऐसी मां भी हैं, जो अपने बच्चों को त्याग देती हैं. 10 जून की सुबह बौरीपारा मोहल्ले के लोग घरों से बाहर निकले.
एक अजीब सी सड़ांध ने सबका ध्यान खींचा. बदबू उस कचरे के ढेर से आ रही थी जो मोहल्ले के एक कोने में था, लेकिन इस बार कुछ तो अलग था. दरअसल एक मां ने अपने बच्चे को बाल्टी में डालकर कूड़े के ढेर में फेंक दिया था.
बाल्टी से उठती बदबू और चौंकाने वाला सच
मोहल्ले की कुछ महिलाओं ने जब बदबू के पीछे का कारण जानना चाहा, तो उन्होंने एक पुरानी बाल्टी देखी जो कचरे के ढेर के पास पड़ी थी. पहले तो सबको लगा उसमें खाना या कुछ गंदगी होगी, लेकिन जब किसी ने झांककर अंदर देखा, तो उसके होश उड़ गए. बाल्टी में एक नवजात बच्चे की लाश थी.
बाल्टी लेकर कॉलोनी में आई थी महिलाएं
जैसे-जैसे खबर फैली, मोहल्ले की महिलाओं ने पुलिस को फोन किया और साथ ही एक अहम जानकारी भी दी. उन्होंने बताया कि एक दिन पहले शाम को दो लड़कियों को कॉलोनी में घूमते देखा गया था. उनके हाथ में वही बाल्टी थी. हालांकि अंधेरा होने और उनका चेहरा साफ न दिख पाने की वजह से कोई भी उन्हें पहचान नहीं पाया था.
जांच में जुटी पुलिस
सूचना मिलते ही कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची. उन्होंने नवजात के शव को कब्जे में लिया और तुरंत आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे खंगालने शुरू किए. कैमरे की फुटेज में स्कूटी पर सवार दो युवतियां दिखीं, जिनके हाथ में वही बाल्टी नजर आई. अब पुलिस उन युवतियों की पहचान करने और उन्हें ढूंढने में जुटी है.
मां बनना एक डर?
यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि उस सामाजिक भय और मानसिक दबाव की तस्वीर है, जिसमें मां बनने की अनुभूति शर्म, डर और अस्वीकार की परछाई में दब जाती है. एक मां जो अपने बच्चे के लिए पूरी दुनिया से लड़ सकती है, वहीं एक मां अगर अपने नवजात को इस तरह त्याग दे, तो समाज को खुद से पूछना चाहिए कि गलती किसकी है?