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बसव राजू की मौत से टूटी माओवाद की कमर, संगठन के भीतर से लीक हुई हिड़मा की तस्वीर, क्या अब बदलेगा समय?

बसव राजू के बाद माओवादी कमांड संरचना पूरी तरह से भ्रम और टूटन की स्थिति में आ गई. अगला नेता कौन बनेगा. इसी को लेकर भूपति और देवजी जैसे वरिष्ठ माओवादी आमने-सामने हैं. भूपति उर्फ अभय, क्षेत्रीय ब्यूरो प्रमुख, अब शांति वार्ता की बातें कर रहा है. खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, वह आत्मसमर्पण के लिए तेलंगाना और महाराष्ट्र पुलिस के संपर्क में है.

बसव राजू की मौत से टूटी माओवाद की कमर, संगठन के भीतर से लीक हुई हिड़मा की तस्वीर, क्या अब बदलेगा समय?
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हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 8 Jun 2025 5:02 PM IST

बस्तर के घने जंगल जहां एक वक्त में हर कदम पर मौत का खतरा रहता था. हर पत्ते के पीछे बारूद और हर साए में बंदूक थी. वहीं अब एक नई हवा बहने लगी है. दशकों तक दहशत का पर्याय रहे माओवादी अब बिखरते दिख रहे हैं. इस बदलाव की सबसे बड़ी वजह बनी बसव राजू की मौत.

नंबाला केशव राव उर्फ बसव राजू, माओवादी संगठन का सैन्य प्रमुख और रणनीतिक दिमाग, 2023 में मुठभेड़ में मारा गया. उसकी मौत ने न केवल माओवादियों की रणनीति को ध्वस्त किया, बल्कि पूरा संगठन अंदर से हिल गया.

अगला नेता बनने की होड़

सूत्रों के अनुसार, बसव राजू के बाद माओवादी कमांड संरचना पूरी तरह से भ्रम और टूटन की स्थिति में आ गई. अगला नेता कौन बनेगा. इसी को लेकर भूपति और देवजी जैसे वरिष्ठ माओवादी आमने-सामने हैं. भूपति उर्फ अभय, क्षेत्रीय ब्यूरो प्रमुख, अब शांति वार्ता की बातें कर रहा है. खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, वह आत्मसमर्पण के लिए तेलंगाना और महाराष्ट्र पुलिस के संपर्क में है. वहीं दूसरी ओर, देवजी जो केंद्रीय मिलिट्री कमीशन (CMC) प्रमुख है. अब भी सशस्त्र संघर्ष को जारी रखने के पक्ष में खड़ा है. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि माओवादी संगठन अब दो विचारधाराओं में बंट चुका है. एक जो हथियार छोड़ना चाहता है, और दूसरा जो उन्हें अब भी थामे हुए है.

हिड़मा की नई तस्वीर: सुरक्षा में भी सेंध

माओवादी दुनिया का एक और बड़ा नाम हिड़मा है, जिसने कभी गाय चराने से शुरुआत की थी और फिर केंद्रीय समिति सदस्य बन गया. अब 20 साल बाद उसकी एक नई तस्वीर सामने आई है, जिसमें वह AK-47 लिए हुए है. चेहरे पर उम्र की लकीरें हैं और सबसे बड़ी बात अब वह पांच लेयर सुरक्षा के बावजूद कैमरे की नज़र में आ चुका है. यानी उसकी सुरक्षा कवच में भी दरारें पड़ चुकी हैं.

क्या अब अंत करीब है?

माओवादियों की रीढ़ टूट चुकी है. गोपनीयता खत्म हो रही है और नए सदस्य अब हथियार नहीं, शांति चाहते हैं. बस्तर, जो एक समय बारूद की गंध से गूंजता था. अब नई उम्मीद की ओर बढ़ रहा है.

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